भूमि अधिकार आंदोलन के राष्ट्रीय सम्मेलन में संविधान को बचाने का आह्वान
भूमि अधिकार आन्दोलन 2015 में अपने गठन के साथ ही स्थानीय समुदायों– आदिवासी, दलित, मछुआरों और शहरी ग़रीबों के पास मौजूद संसाधनों की राज्य प्रायोजित लूट की मुखालफत करता रहा है और इस लूट के खिलाफ़ संगठित प्रतिरोधों के साथ खड़ा हुआ है।
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