स्मृतिशेष: मुन्ना मारवाड़ी चले गए, काशी अब ‘बाकी’ नहीं है
यह विस्थापन सामान्य नहीं था। मुन्ना मारवाड़ी का पूरा अस्तित्व ही विस्थापित हो चुका था। मुन्नाजी को अब अदालत से भी कोई उम्मीद नहीं रह गयी थी। वे बस बोल रहे थे, बिना कुछ खास महसूस किए। मैं उनकी आंखों में देख रहा था, बिना कुछ खास सुने।
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