राग दरबारी: भारतीय मीडिया, संपादक और उसकी नैतिकता

आज के अधिकांश संपादक रीढ़विहीन, परजीवी व अपने लाभ भत्तों के लिए जी रहे हैं. पत्रकारिता में संकट के इस दौर में प्रतीक बंदोपाध्याय जैसे कितने पत्रकारों के बारे में हमने सुना है? जबकि आज तो देश के कई बड़े संपादक राज्यसभा में विराजमान हैं?

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प्रवासी मेहनकशों का लॉकडाउन में हुआ उत्पीड़न और भुला दिए गए कुछ नैतिक सवाल

बारह साल की जमलो मकदम के परिवार को हम क्या समझा सकते हैं? क्या विवरण और स्पष्टीकरण दे सकते हैं उसके अंत का? जमलो, एक आदिवासी बालिका, तेलंगाना में मिर्चों …

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