…आर या पार हो जट्टा तगड़ा होजा: तिहाड़ में गूंजते लहरी नगमे और पैर पर लिखी एक इबारत

मनदीप बाहर आये कुछ कहानियां लेकर। तिहाड़ में बंद किसानों की कहानियां। उनके पास न तो कोई रिकॉर्डर था, न कैमरा, न नोटबुक और न मोबाइल। बाहर आते ही उन्‍होंने अपने नोट्स मीडिया को दिखाये, जो पुलिस की लाठी से सूजे अपने पैरों पर उन्‍होंने लिख मारे थे। उन्‍हीं नोट्स के आधार पर उन्‍होंने एक संक्षिप्‍त कहानी लिखी और जनपथ को भेजी है।

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मनदीप पुनिया को मिली ज़मानत, पत्नी ने कहा- अभी 121 लोगों की लड़ाई बाकी है!

मनदीप की पत्‍नी लीला ने ज़मानत के आदेश पर खुशी जताते हुए कहा है कि दो दिन की मानसिक प्रताड़ना और बहुत सारे लोगों की मेहनत के बाद मनदीप को बेल मिली है, लेकिन अभी लड़ाई बाकी है।

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DUJ और CASR ने की पत्रकारों पर पुलिसिया दमन की निंदा, मनदीप पुनिया की रिहाई की मांग

दिल्ली जर्नलिस्ट यूनियन (DUJ) ने एक बयान जारी कर कहा कि पत्रकार मनदीप पुनिया ने किसानों पर कथित तौर पर भीड़ के हमले में राइट विंग राजनेताओं की मौजूदगी का पर्दाफाश किया था.

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पत्रकार मनदीप पुनिया की ज़मानत याचिका पर फैसला सुरक्षित, एडिटर्स गिल्‍ड ने उठायी रिहाई की मांग

सुनवाई के दौरान वहां मौजूद एक अन्‍य पत्रकार के मुताबिक सुनवाई के अंत तक अदालत की ओर से प्रेस कार्ड की मांग होती रही। इसके बाद शाम चार बजे सुनवाई समाप्‍त हुई और अदालत ने फैसला अगले दिन तक के लिए सुरक्षित रख लिया।

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30 जनवरी की शाम सिंघू बॉर्डर पर क्या हुआ था? धर्मेन्द्र ने सुनायी अपनी और मनदीप की पूरी कहानी

दो पत्रकारों धर्मेंद्र सिंह और मनदीप पुनिया के साथ 0 जनवरी की शाम और रात क्‍या हुआ था, यह अब भी रहस्‍य है। हम अब तक यह जानते हैं कि धर्मेंद्र को सुबह छोड़ दिया गया था और मनदीप जेल में हैं। धर्मेंद्र ने हिरासत से रिहा होने के बाद एक वीडियो जारी कर के पूरा घटनाक्रम विस्‍तार से बताया है।

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पत्रकारों की गिरफ़्तारी: गांधी जी की हत्या के संदर्भ में कुलदीप नय्यर की Scoop से कुछ सबक

अगली सुबह सम्पादक ने मुझे तलब किया— डाँट-फटकार के लिए नहीं, बल्कि यह समझाने के लिए कि वस्तुपरकता पत्रकारिता के मूल सिद्धान्तों में से एक है। इसीलिए, मुझे अच्छी या बुरी जैसी भी घटनाएँ हों, उनकी खबर बनाने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए और अपनी भावनाओं को अपने फैसलों पर हावी नहीं होने देना चाहिए। मुझे एहसास हुआ कि सम्पादक महोदय का कहना सही था।

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