नागरीप्रचारिणी सभा में नये चुनाव का रास्ता साफ़, व्योमेश शुक्ल की आपत्ति पर आया ऐतिहासिक फ़ैसला
बीते पचास वर्षों से एक परिवार हिंदी की इस 128 साल पुरानी महान संस्था पर क़ब्ज़ा जमाये बैठा था। इस निर्णय के बाद संस्था को उस शिकंजे से मुक्ति मिल गयी है। इस बीच संस्था में बौद्धिक संपदा और ज़मीन-जायदाद के घपले से जुड़ी ख़बरें समय-समय पर प्रकाश में आती रही हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की भी इस संस्था पर नज़र बनी रही है और पिछले बरस उसने यहाँ हुए चुनावों की जाँच का आदेश स्थानीय न्यायालय को दे रखा था।
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