क्या संविधान पढ़ने की सलाह देना भी देश में अब गुनाह हो गया है?
किसी धर्म या विचारधारा में विश्वास करना उसमें आस्था रखना या न रखना यह व्यक्ति का निजी मामला है। इसके लिए कोई दबाव या जबरदस्ती नहीं की जानी चाहिए। भावना आहत होने या धर्म का अपमान होने के नाम पर किसी व्यक्ति से उसकी नौकरी छीन लीजिए, उसकी अभिव्यक्ति की आजादी छीन लीजिए, उसके अधिकार छीन लीजिए, ये मनमानी है। आजकल कुछ लोग देश को ऐसी ही मनमानियों से चलाने की कोशिश कर रहे हैं।
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