साहित्य में साम्राज्यवाद और विस्थापन की तलाश: संदर्भ इजरायल-फिलिस्तीन संकट

साम्राज्यवाद को दो पैमानों से पहचाना जा सकता है। पहला यह कि शोषक ताकतें किसी दूसरे देश पर कब्जा करके यानि उसे उपनिवेश बनाकर उस देश के उद्योगों को खत्म कर देती हैं और दूसरा उस देश की उपज और उत्पादन को जबरदस्ती हड़पती जाती हैं।

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सांप्रदायिकता से लड़ने वालों को अपनी लड़ाई साम्राज्यवाद की ओर मोड़नी होगी: विनीत तिवारी

सांप्रदायिकता से लड़ने वालों को अपनी लड़ाई साम्राज्यवाद की ओर मोड़ना होगी क्योंकि वही सभी समस्याओं के मूल में है। फ़िदेल कास्त्रो ने इसीलिए तीसरी दुनिया के देशों की एकता की बात की थी क्योंकि तीसरी दुनिया के मुल्क़ इकट्ठे होकर साम्राज्य्वाद को कड़ी चुनौती दे सकते हैं।

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अमेरिका से दोस्ती मने जी का जंजाल: अतीत से कुछ वैश्विक सबक

अमरीका से दोस्ती बढ़ाकर हम पाकिस्तान के अंजाम को भूल गए हैं। उसने पाकिस्तान का जो हाल किया है वह किसी से छुपा नहीं है। आज पाकिस्तान एक विफल राष्ट्र है। वहां चारों ओर आतंकवाद की वह फसल लहलहा रही है जिसके बीज 70 व 80 के दशक में अमरीका ने ही बोये थे।

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अफीम की खेती, तालिबान का राज और साम्राज्यवादी नीतियां

जानकारों का कहना है कि अगर तालिबान अफीम की खेती पर काबू पाना चाहे, तब भी उसके लिए ये मुश्किल चुनौती होगी। उस हाल में जिन किसानों की आमदनी का यह मुख्य स्रोत है, उनकी बगावत का उसे सामना करना पड़ेगा।

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अख़बारनामा: वैश्वीकरण के दौर में भारतीय पत्रकारिता का एक जायज़ा

आज जो साम्प्रदायिकता का ज़हर हमारे समाज की जड़ों में गहरे तक उतरता जा रहा है तो यह केवल आज घटित हो गई कोई परिघटना नहीं है। इसकी भूमिका तभी से बननी शुरू हो गई थी जब उदारीकरण की नीतियों के माध्यम से हमारा देश अमेरिकी साम्राज्यवाद के जाल में फंसने लगा था। इस बारे में आलोक श्रीवास्तव जी की यह पुस्तक आंखें खोलने वाली है।

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संकट में साम्राज्यवाद: नस्लवाद और युद्ध के विरुद्ध संघर्ष

अखिल भारतीय शांति और एकजुटता संगठन (एप्सो) द्वारा “संकट में साम्राज्यवाद: नस्लवाद और युद्ध के विरुद्ध संघर्ष” विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार (ऑनलाइन परिचर्चा) का आयोजन किया गया।

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