बात बोलेगी: एक सौ चालीस करोड़ की सामूहिक नियति के आर-पार एक ‘थार’
क्या लगता है कि थार में केवल देश के गृह राज्यमंत्री का बेटा बैठा था जो उसे चला रहा था? या यह महज एक आकस्मिक घटना थी? या यह एक एक्सीडेंट था? या इस घटना को अंजाम देते वक़्त और उसके बाद के कार्य-कारणों का आकलन नहीं किया गया था? सब कुछ किया गया था। ध्यान से देखें तो थार उस जन्मकुंडली के रूप में बदलती हुई दिखलायी देगी जो हमारी नियति को गढ़ने के लिए बनायी गयी है।
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