‘ये ज़मीन हमारी है…!’ क्यूबा और हैती के ‘ज़ाती’ संकट से आती मुक्ति की आवाज़ें

वेस्‍ट इंडियन द्वीपों को उनकी भाषा और संस्‍कृति उतना एक नहीं करती जितना गुलामी का वह साझा अभिशाप करता है, जिसकी जड़ें औद्योगिक खेती की उत्‍पीड़नकारी अर्थव्‍यवस्‍था में हैं। हैती और क्‍यूबा दोनों इसी ज़ाती मसले के उत्‍पाद हैं। बस अंतर इतना है कि एक ने 1804 में ही गुलामी की बेडि़यां तोड़ दी थीं जबकि दूसरा करीब डेढ़ सदी के बाद आज़ाद हुआ।

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