15 अगस्त को नारीवादी पूछें, “क्या हम सच में ‘आज़ाद’ हैं?”
आज दिल्ली सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों, विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों, वकीलों, मीडियाकर्मियों आदि के ख़िलाफ़ पूछताछ, गिरफ्तारी, उत्पीड़न द्वारा व्यवस्थित हमले का भी केंद्र बन गया है
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