एक सदी से पूंजी के जाले में फंसा किसान क्‍या करे?

इस व्यवस्था के जाल में फंसा हुआ किसान इससे बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा है। यदि किसानों को इस व्यवस्था के जाल से बाहर निकलना होगा, तो तय है पूंजीपतियों द्वारा जाति धर्म के बुने हुए जाल को खत्म करते हुए देश की संसद पर अपना हक जमाना होगा। मांगें पेश करने भर से काम नहीं चलेगा क्योंकि जो पूरी व्यवस्था है, वह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पूंजीपतियों के कब्जे में है।

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