दिमित्री मुरातोव को मिला नोबेल पुरस्कार और अन्ना पोलित्कोव्सकाया की अधूरी कहानी…
जनपथ के पाठकों के लिए 15 साल पुरानी अन्ना की लिखी यह अधूरी स्टोरी एक बार फिर प्रस्तुत है, जिसके एवज में उन्हें अपनी जन गंवानी पड़ी लेकिन पंद्रह साल बाद जिसका सिला उनके सम्पादक के लिए नोबेल पुरस्कार के रूप में सामने आया है।
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