अमित शाह को क्यों कहना पड़ा कि मोदी निरंकुश नहीं हैं!

सवाल यह है कि मोदी के गुजरात और दिल्ली में सफलतापूर्वक दो दशकों तक सरकारें चला लेने के बाद अचानक से इस तरह के सवाल के पूछे जाने (या पुछवाये जाने) की ज़रूरत क्यों पड़ गयी होगी? जनता तो इस आशय की संवेदनशील जानकारी की साँस रोककर प्रतीक्षा भी नहीं कर रही थी। सरकार और पार्टी में ऐसे मुद्दों पर बंद शयनकक्षों में भी कोई बातचीत नहीं होती होगी।

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‘तानाशाह’ अपनी हार अंत तक स्वीकार नहीं करते!

अभी अंतिम रूप से स्थापित होना बाक़ी है कि डॉनल्ड ट्रम्प हक़ीक़त में भी राष्ट्रपति पद का चुनाव हार गए हैं। इस सत्य की स्थापना में समय भी लग सकता …

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