राजपथ के रंगीन सपनों में खलल के बीच छवि बनाने का ‘संघठनात्‍मक’ अभियान

राजा और प्रजा के बीच उत्पन्न हुआ विश्वास का संकट उन रंगीन सपनों में ख़लल डाल सकता है जो नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट के बीच राजपथ पर आकार ले रहे हैं। सारी परेशानी बस इसी बात की है।

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DRDO का रामदेव कनेक्शन: बालकृष्ण सहित पतंजलि के चार लोगों ने लिखा था 2DG का शोध पत्र!

देश में कोरोना के गंभीर रोगियों को लेकर कथित तौर पर डीआरडीओ द्वारा निर्मित जिस दवा 2DG को भारत सरकार ने मंजूरी दी है वह दवा कोरोनिल के निर्माता और आयुर्वेद के नाम पर कई बार ठगी के आरोपों में घिरे बाबा रामदेव और उनके चेलों के रिसर्च की उपज है।

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तन मन जन: जनस्वास्थ्य के अधूरे ढांचे और गाँव गणराज्य की उपेक्षित संकल्पना के सबक

गांव गणराज्य की कल्पना भारत के पूर्व आइएस एवं सिद्धान्तकार डॉ. ब्रह्मदेव शर्मा ने स्पष्ट रूप से ढाई दशक पहले ही दी थी जिसे सरकारों ने कूड़े में डाल दिया। यदि जनस्वास्थ्य और प्राथमिक शिक्षा का प्रबन्धन और कार्यान्वयन गांव या प्रखण्ड के स्तर पर हो तो देश में कभी भी ऐसी मारामारी और हाहाकार की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।

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दक्षिणावर्त: क़त्ल पर जिन को एतराज़ न था, दफ़्न होने को क्यूं नहीं तैयार…

दरक चुके अपने समाज की आलोचना हम कब करेंगे? अपने सामाजिक-सांस्‍कृतिक दायित्व का बोध हमारे भीतर कब होगा और हम संविधान में वर्णित अधिकारों को रटने के साथ सामाजिक ‘कर्त्तव्यों’ को भी कब जानेंगे?

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गंगा में बहते शवों को नोचती मछलियों और कुत्तों ने बजाया निषादों के लिए खतरे का अलार्म!

लाशों के मिलने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। उन शहरों में खौफ और हड़कंप ज्यादा है जहां से होकर गंगा गुजरती है। अधिसंख्य लाशें कोरोना संक्रमितों की हैं जिन्हें लाचारी के चलते नदियों में बहा दिया गया था, अब इन्‍हें नदी के अंदर मांसाहारी मछलियां और किनारे पर आवारा कुत्ते नोच खा रहे हैं। इससे नदी किनारे रहने वाले और उसी से अपनी आजीविका चलाने वाले समुदायों पर स्‍वास्‍थ्‍य का गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

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राष्ट्रीय औसत से भी बदतर कैसे हो गयी झारखंड में कोरोना संक्रमण की तस्वीर?

संक्रमित होकर ठीक हो जाने वालों की राष्‍ट्रीय औसत 82.7 प्रतिशत है जबकि झारखंड में यह औसत 80.25 है। राज्‍य में कोरोना से मरने वालों की दर (1.38 प्रतिशत) भी राष्‍ट्रीय औसत 1.1 प्रतिशत से ज्‍यादा है।

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अस्पतालों में महिलाओं का यौन उत्पीड़न और समाज की भूमिका: संदर्भ भागलपुर

अस्पतालों और मेडिकल क्लीनिकों में यौन उत्पीड़न की और भी अनगिनत मौखिक कहानियां हैं जिन्‍हें सार्वजनिक करने की अनुमति न तो पीड़िता देती है और न ही उसका समाज. इसलिए बिहार की उस महिला के साहस को सलाम करना होगा कि उन्होंने अपनी व्यथा के माध्यम से पूरे भारत में व्याप्त अस्पतालों में इस तरह की मानसिकता का परदाफाश किया.

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‘विफल स्टेट’ और ‘स्टेट की विफलता’ दो अलग बातें हैं, शातिर मीडिया का खेल समझिए!

मीडिया इतना शातिर बन गया है, यह इस दौर की सबसे बड़ी त्रासदी है क्योंकि वही है जो स्टेट के शीर्ष पर बैठे लोगों की विफलताओं को स्टेट की विफलता घोषित कर लोगों के आक्रोश की धार को मोड़ने की कोशिश कर रहा है। वह हमें बताना चाहता है कि हमने ऐसा ही स्टेट बनाया है तो आज इस भयंकर त्रासदी में तमाम विफलताओं के सबसे बड़े दोषी हम ही हैं।

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एक बीमार स्वास्थ्य तंत्र में मुनाफाखोरी का ज़हर और कोरोना काल का कहर

कोरोना एक त्रासदी के साथ-साथ सबक भी है कि हम अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को बाजार में मुनाफा कमाने वाला एक उद्योग न बनायें, बल्कि राष्ट्र को स्वस्थ और मजबूत नागरिक प्रदान करने वाली एक इकाई के रूप में विकसित करें. निजी चिकित्सा संस्थानों पर सरकारी नियंत्रण किये जाने की सख्त जरूरत है और इलाज के खर्चे का भी एक मानक बनाया जाना चाहिए.

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महामारी में ‘उम्मीद’: महाराष्ट्र के पिसवली गांव में 25 युवाओं के संघर्ष की प्रेरक कहानी

महाराष्ट्र के कल्याण क्षेत्र के एक गांव पिसवली के ये युवा अपनी बस्ती के लोगों के स्वास्थ्य को लेकर शुरुआत से ही सचेत थे और तब से लेकर आज तक में वे लगातार सक्रिय रहे। आइए, इन युवाओं की कहानी और इनकी चिंताओं से आपको रूबरू कराते हैं।

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