पंजाब चुनाव: नोटा से भी कम पर सिमट गयी कम्युनिस्ट पार्टियां चर्चा का विषय क्यों नहीं हैं?

उत्तर प्रदेश में बसपा के एक सीट जीतने पर बौद्धिक समाज में जैसी खलबली देखी गयी वैसी कम्युनिस्ट पार्टी के बंगाल में लगातार दो बार हारने के बाद भी नहीं देखी गयी। पंजाब में नोटा से भी कम वोट मिलने पर कम्‍युनिस्‍ट पार्टियों पर कोई चर्चा न होना और भी चौंकाता है।

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जाति के सवाल पर बनी पहली कम्युनिस्ट पार्टी के संदर्भ में ‘माफुआ’ का विश्लेषण व सीमाएं

बंकिमचंद्र द्वारा निर्मित मुसलमान का मोनोलिथ हिंदू मोनोलिथ निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत करता है। जाति व्यवस्था हिंदू धर्म का हिस्सा है, ऐसा कहते डॉ. आंबेडकर मोनोलिथ पक्का करते हैं और उस मोनोलिथ से बाहर निकलने के लिए धर्मातरण कर धर्म नाम के मोनोलिथ को और पक्का करते हैं। बंकिमचंद्र से लेकर बाबा साहब तक धर्म को मोनोलिथ बनाने की यात्रा विश्व पूंजीवाद के लिए उपकारक सिद्ध हुई है।

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गांव और शहर के बीच झूलती जिंदगी में देखिए बेनकाब वर्ग विभाजन का अक्स

लॉकडाउन के दौरान शहरों में रोजगार पूरी तरह से ठप हो जाने के बाद मजदूरों को अपना गांव दिखायी पड़ा था जहां से वे शहर की तरफ पलायन करके आये थे ताकि वे अपने और अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम कर सकें. अब, जब हम लॉकडाउन से अनलॉक की तरफ बढ़ रहे हैं तो एक बार फिर वे रोजगार की तलाश में उसी शहर की तरफ निकलने लगे हैं.

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जलते हुए जलगांव के बीच विलास सोनवणे को दिल्‍ली में सुनना

सांप्रदायिकता से कैसे लड़ें, इस पर उन्‍होंने कहा कि ये लड़ाई लंबी है। वे बोले कि कम्‍युनिस्‍ट आरएसएस के एजेंडे पर काम कर रहे हैं। उन्‍होंने हमें एजेंडा दे दिया है और हम धरने पर बैठे हैं। यह नहीं होना चाहिए।

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