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बाल दिवस पर बच्चों के ‘चाचा’ की एक याद
नेहरू जी ने अपने पत्र में बेटी इंदु को एक पत्थर के छोटे टुकड़े की कहानी लिखी थी. कैसे एक बड़ा चट्टान अपनी यात्रा में घिसते हुए नदी में बहते हुए छोटा रूप पाया था. दरअसल, छोटा होने पर ही कोई चट्टान हथेली पर आ सकता है.
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