संवैधानिक मूल्यों का प्रसार और बंटे हुए दिमाग की दिक्कतें: आत्म-निरीक्षण के लिए कुछ बिन्दु

संवैधानिक मूल्यों पर अपने ऊपर काम करने की प्रक्रिया में अपने भीतर बैठे बंटवारे/पहचानों को संबोधित करना ही सबसे जरूरी बात है। ‘हम’ बनाम ‘वे’ का बंटवारा हल किये बगैर मूल्‍यों के रास्‍ते पर कोई भी आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए अनुभव के रास्ते मूल्यों को आत्‍मसात करने का काम और अपने भीतर के बंटवारों को संबोधित करने का काम एक साथ चलाया जाना चाहिए।

Read More