डॉ. मोहनलाल पांडा को सम्मान: अटल के ‘राजधर्म’ से जनमित्र के ‘स्वधर्म’ को मिली मान्यता
राजनीति के जिस दौर में न तो राजधर्म और न ही स्वधर्म की परवाह की जा रही हो, डॉ. पांडा को मिला यह पुरस्कार इस बात की तसदीक करता है कि स्वधर्म से ही राजधर्म को पूरा किया जा सकता है और राजधर्म ही स्वधर्म को अपनाने की संभावनाएं पैदा करता है।
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