‘अग्निपथ’ का दूसरा सिरा संघ के निजी सैनिक स्कूलों तक जाता है इसलिए सवाल योजना की मंशा पर है!
पिछले तीन साल के दौरान देश में घटनाक्रम इतनी तेज़ी से बदला है कि न तो मीडिया ने संघ के शिकारपुर आर्मी स्कूल की कोई सुध ली और न ही अखिलेश ने ही बाद में कुछ भी कहना उचित समझा। अब ‘अग्निपथ’ के अंतर्गत साढ़े सत्रह से इक्कीस (बढ़ाकर तेईस) साल के बीच की उम्र के बेरोज़गार युवाओं को ‘अग्निवीरों’ के रूप में सशस्त्र सेनाओं के द्वारा प्रशिक्षित करने की योजना ने संघ के आर्मी स्कूल प्रारम्भ किए जाने के विचार को बहस के लिए पुनर्जीवित कर दिया है।
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