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‘जूनटीन्थ’ दिवस: आज़ादी और इंसाफ़ के नारों तले दबे हैं नाइंसाफ़ी के कंकाल
1865 में दासता से कथित आज़ादी का ऐलान और आज इतने बरस बाद 2020 में एक बार फिर अश्वेत लोगों का खुलेआम क़त्ल हो रहा है- अश्वेत वर्ग रोज़ ही पूछता होगा कि आखिर वह कैसी आजादी थी।
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