देश छोड़कर भागने वालों में अगला नंबर अनिल अम्‍बानी का?


वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता प्रशांत भूषण ने सोमवार को गृह मंत्रालय और केंद्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (सीबीआइ) से दरख्‍वास्‍त की है कि दिवालिया हो चुके कारोबारी अनिल अम्‍बानी के विरुद्ध तत्‍काल एफआइआर दर्ज कर के मुकदमा कायम किया जाय। अम्‍बानी को राफेल रक्षा सौदे में 30,000 करोड़ रुपये का ऑफसेट ठेका मिला था।

भूषण ने छह पन्‍ने का एक पत्र विदेश मंत्रालय सहित रिजर्व बैंक, स्‍टेट बैंक और केंद्रीय सतर्कता आयोग को भेजा है जिसमें उन्‍होंने अनिल अम्‍बानी का पासपोर्ट रद्द करने की गुजारिश की है क्‍योंकि उन्‍हें आशंका है कि अम्‍बानी देश छोड़ कर भाग सकते हैं।

भूषण ने अपने पत्र में अनिल अम्‍बानी द्वारा किये गये वित्‍तीय फर्जीवाड़े से सम्‍बंधित दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय के एक आदेश और कुछ समाचार रिपोर्टों का हवाला देते हुए लिखा है, ‘’अनिल अम्‍बानी के समूह रिलायंस कम्‍युनिकेशंस लिमिटेड, रिलायंस टेलिकॉम और रिलायंस इन्‍फ्राटेल लिमिटेड के खिलाफ सीबीआइ द्वारा तत्‍काल एक एफआइआर दर्ज की जाय और उस आधार पर विस्‍तृत जांच पड़ताल शुरू की जाय।‘’

भूषण ने लिखा है कि भगोड़े कारोबारियों विजय माल्‍या और नीरव मोदी की तरह अम्‍बानी भी देश छोड़ कर भाग सकते हैं। पत्र में भूषण ने लिखा है, ‘’अनुरोध है कि अनिल अम्‍बानी का पासपोर्ट तत्‍काल रद्द किया जाय। अतीत में नीरव मोदी और विजय माल्‍या द्वारा जांच और दंड से बचने के लिए देश छोड़ कर भाग जाने की घटनाओं के चलते यह बहुत जरूरी हो गया है।‘’

भूषण ने दावा किया है कि शीर्ष अधिकारियों की ओर से एजेंसियों को अम्‍बानी के मामले में नरमी बरतने को कहा गया है।

गौरतलब है कि स्‍टेट बैंक ने दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय को बताया था कि अनिल अम्‍बानी के स्‍वामित्‍व वाली कंपनियों रिलायंस कम्‍युनिकेशन, रिलायंस टेलिकॉम और रिलायंस इन्‍फ्राटेल के बैंक खाते ‘’फ्रॉड’’ की श्रेणी में डाल दिये गये हैं।

दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय रिलायंस कम्‍युनिकेशन के निदेशक पुनीत गर्ग की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें गर्ग ने आरबीआइ के 2016 के एक सर्कुलर को चुनौती दी थी जो अम्‍बानी की कंपनियों के खाते को फ्रॉड घोषित करने के सम्‍बंध में था। इसी सुनवाई के दौरान एसबीआइ ने अदालत को बताया था कि उसकी ऑडिट में इन खातों से फंड डायवर्ट किये जाने और अन्‍य अनियमितताओं के साक्ष्‍य प्राप्‍त हुए हैं।

रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक किसी खाते को “फ्रॉड” घोषित किये जाने के बाद बैंक को सीबीआइ में शिकायत दर्ज करानी होती है, यदि फर्जीवाड़े की राशि एक करोड़ से ज्‍यादा की हो। यदि राशि एक करोड़ से कम की है तो स्‍थानीय पुलिस इसकी जांच कर सकती है।

नियम के अनुसार रिजर्व बैंक को इसकी रिपोर्ट करने के 30 दिनों के भीतर ऐसा किया जाना होगा। इस मामले में हालांकि अब तक कोई एफआइआर दर्ज नहीं हुई है।

दिवालिया घोषित किये जाने का आवेदन देते वक्‍त रिलायंस कम्‍युनिकेशन 49000 करोड़ से ज्‍यादा, रिलायंस इन्‍फ्राटेल 12000 करोड़ से ज्‍यादा और रिलायंस टेलिकॉम 24000 करोड़ से ज्‍यादा के कर्जे में था। ये आंकड़े आरकॉम की वेबसाइट पर उपलब्‍ध थे।

प्रशांत भूषण ने लिखा है, ‘’यह स्‍पष्‍ट है कि रिलायंस कम्‍युनिकेशन, रिलायंस टेलिकॉम और रिलायंस इन्‍फ्राटेल के बैंक खातों के ऑडिट के दौरान पैसे की हेरफेर, दुरुपयोग और गबन का मामला प्रकाश में आया है। यह फर्जीवाड़ा दसियों हजार करोड़ का बैठता है जो नीरव मोदी और विजय माल्‍या के मामलों में सामने लाये गये घोटालों से कहीं बड़ा वित्‍तीय घोटाला है।‘’


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