‘पठान’ उर्फ बेवजह विवाद में एक चालू सिनेमा का प्रतीक बन कर उभरना
अपनी तमाम सीमाओं के बावजूद बॉलीवुड की पहचान उन चंद पेशेवर स्थानों में है जो समावेशी और धर्मनिरपेक्ष हैं। यह बहुसंख्यक दक्षिणपंथियों को हमेशा से ही खटकता रहा है।
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अपनी तमाम सीमाओं के बावजूद बॉलीवुड की पहचान उन चंद पेशेवर स्थानों में है जो समावेशी और धर्मनिरपेक्ष हैं। यह बहुसंख्यक दक्षिणपंथियों को हमेशा से ही खटकता रहा है।
Read Moreराहुल के विचार भी अपने परदादा से मिलते-जुलते हैं लेकिन दारा की तरह उनमें भी अपने परदादा के मुकाबले राजनीतिक सूझ-बूझ की कमी देखने को मिलती है। दिन-प्रतिदिन की चुनावी राजनीति को लेकर वे उदासीन नजर आते हैं।
Read Moreहमारा अवचेतन मन हमारे विश्वास पर कार्य करता है, तर्क पर नहीं। इसलिए आप किसी भी बाबा, पाखंडी गुरु या साधक के पास चले जाएं, किसी भी मंदिर, गुरूद्वारे, मज़ार पर चले जाएं, यह निश्चित मान लीजिए आपका इनके पास जाना ही आपके अवचेतन मन को प्रभावित करता है।
Read Moreबिहार में ढंकने का ही चलन है। यही काम तब हुआ था, जब प्रकाश-पर्व मना था, गुरु गोविंद सिंह की 300वीं जयंती पर। तब भी सारे पटना के नालों, कूड़ों को बेहद नफीस कालीनों और झाड़-फानूसों के नीचे धकेल दिया गया था। आज भी वही हो रहा है।
Read Moreये पूरा मामला वोटों की खेती का है। लालू जानते हैं कि एम-वाय समीकरण को उच्चतम सीमा तक दोहन कर लिया गया है, इसलिए नये तरीके चाहिए वोटों के। नीतीश जानते हैं कि केवल कुर्मियों के वोट से कुछ नहीं होगा। भाजपा जानती है कि केवल सामान्य वर्ग के वोटों से वह बड़ी ताकत नहीं बन सकती है। हरेक बड़े समुदाय और जाति का बांट-बखरा हो चुका है।
Read Moreउत्तर प्रदेश के बारे में बुनियादी जानकारी और आँकड़े
Read Moreहिमालय युवा है और प्राकृतिक रूप से नाजुक है। इससे चट्टान में दरारें और फ़्रैक्चर बनते हैं जो भविष्य में चौड़े हो सकते हैं और रॉकफॉल/ढलान विफलता (स्लोप फ़ेलियर) क्षेत्र बना सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इंसानी हस्तक्षेप ने इसे और भी बदतर बना दिया है, चाहे वह पनबिजली संयंत्रों का विकास हो, सुरंगों का विकास हो या सड़कों की योजना हो।
Read Moreबिहार के एक वरिष्ठ नौकरशाह कहते हैं, ‘बिहार का जातिवाद बिल्कुल ही अलग है। बाकी जगहों पर आप देखेंगे कि क्षेत्रवाद हावी हो जाता है जातिवाद पर। बिहार में हरेक पहचान से अलग और ऊपर जाति हावी है। सबकी पसंद आखिरकार जाति पर ही जाकर टिक जाती है, विनाश का यही मूल कारण है।’
Read Moreशिक्षा में गवर्नेंस की मौजूदा प्रणाली पर भी पुनर्विचार करने की जरूरत है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के गठन की बात की गयी है लेकिन इससे शिक्षा प्रशासन के केन्द्रीकरण का खतरा बढ़ जाने की सम्भावना है। शिक्षा के प्रशासन को हमें इस प्रकार से विकेन्द्रित करने की जरूरत है जिसके केंद्र में शिक्षक, समुदाय और बच्चे हों।
Read Moreसावित्रीबाई फुले का सपना था कि देश की हर बच्ची और महिला शिक्षित हो। इसके लिए परिवार और समाज में यह विश्वास लाना होगा कि बालिका शिक्षा का महत्व क्या है और अगर बच्चियों को मौका दिया जाए तो वे जीवन में आगे बढ़ सकती हैं।
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