
संदूकची में वंशवृक्ष: प्रकाश चंद्रायण की कविता और गोपाल नायडू का कविता-चित्र
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
Read Moreएसोचैम की स्वास्थ्य देखभाल समिति के तहत कराए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि सात से तेरह वर्ष की आयु वर्ग के 88 प्रतिशत विद्यार्थी ऐसे हैं, जो अपनी पीठ पर अपने वज़न का लगभग आधा भार ढोते हैं।
Read Moreमोदी सरकार द्वारा मुलायम सिंह को सम्मानित करने का भले ही भाजपा को तत्काल कोई फायदा नहीं मिले, लेकिन अखिलेश यादव और समूची सपा द्वारा जिस तरह से इस सम्मान पर एक सतही विरोध दिखाया गया उसने मुसलमानों में भाजपा के खिलाफ सपा के रवैये पर एक और आशंका जरूर पैदा की है।
Read Moreकिसानों ने आजमगढ़ में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के औचित्य पर सवाल खड़ा किया है। चार महीने आंदोलन चलने के बाद जिला प्रशासन से हुई वार्ता में जिलाधिकारी ने आंदोलन के नेतृत्व से सवाल पूछा है कि वे कैसे तय कर सकते हैं कि यहां हवाई अड्डा नहीं बनेगा। आइए, हम देखें कि देश में कहां-कहां लोगों ने विनाशकारी परियोजनाओं से अपने आंदोलन के बल पर मुक्ति पाई है।
Read More2018 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते जातीय भेदभाव के बाद अब तक करीब 90,000 से अधिक लोग बारपेटा से लखनऊ विस्थापित हो चुके हैं, हालांकि यहां वह पूर्वाग्रहों और जातीय संघर्षों से तो बच गए परंतु शहरों में भेदभाव के नए रूप खुल गए हैं।
Read Moreअभी न्यूज़रूम में बॉट्स ने इंसानों को पूरी तरह से रिप्लेस नहीं किया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के नये अवतार चैटजीपीटी के आजार में आने के बाद कहा जा रहा है कि सबसे बड़ा खतरा इससे पत्रकारों को होगा। सबसे ज्यादा नौकरी पत्रकारों की ही जाने वाली है।
Read Moreसमस्या यह है कि गंगोत्री से चली गंगा को हम लोग कानपुर, प्रयागराज, पटना इत्यादि तमाम शहरों की भयंकर गंदगी से लैस कर देते हैं और फिर उसी पानी को निकालकर कहते हैं कि देखो जी, गंगा तो गंदी है।
Read Moreबजट में कृषि मद में पिछले वर्षों की अपेक्षा अबकी बार अधिक प्रावधान किये जाने की उम्मीद थी जिससे सरकार द्वारा 2016 में किये गए किसानों की आय को 2022 तक दुगना करने के वायदे को सार्थक किया जा सकता था, लेकिन इसके विपरीत कई कटौतियां कर दी गयीं।
Read Moreअपनी तमाम सीमाओं के बावजूद बॉलीवुड की पहचान उन चंद पेशेवर स्थानों में है जो समावेशी और धर्मनिरपेक्ष हैं। यह बहुसंख्यक दक्षिणपंथियों को हमेशा से ही खटकता रहा है।
Read Moreराहुल के विचार भी अपने परदादा से मिलते-जुलते हैं लेकिन दारा की तरह उनमें भी अपने परदादा के मुकाबले राजनीतिक सूझ-बूझ की कमी देखने को मिलती है। दिन-प्रतिदिन की चुनावी राजनीति को लेकर वे उदासीन नजर आते हैं।
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