हैदराबाद: भोईगुड़ा अग्निकांड में मारे गए 11 प्रवासी मजदूरों की जिम्मेदारी कौन लेगा?

मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतक के परिवारों को मुआवज़े देने की घोषणा कर दी है। परिवारों को क्रमश: 5 लाख और 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी 2 लाख रुपये की घोषणा की है और इस घटना पर दुख जताया है।

Read More

खैरात का राजनीतिक अर्थशास्त्र और उसमें छुपा जनता की गुलामी का सूत्र

ली क्वान यु ने बिजली या पानी बिल माफ़ करने के बदले लोगों की बचत को उनकी कमाई का 45 फीसदी तक कर दिया जिसका फल यह निकला कि सिंगापुर में लोग कार्य करने के लिए प्रेरित हो रहे थे। वहीँ मलेशिया अपनी मलय संस्कृति को लेकर अँधेरे और गरीबी की गर्त में डूबता गया।

Read More

भगत सिंह की फांसी और महात्मा गांधी की जिम्मेदारी का सवाल

भगत सिंह के कार्यों को सही ठहराने की जिम्मेदारी कम से कम गांधी की नहीं थी। और साफ कहूं तो गांधी पर भगत सिंह को बचाने की कोई नैतिक जिम्मेदारी भी नहीं थी। न ही भगत सिंह ने गांधी की जानकारी में या गांधी से पूछकर अपनी राजनीतिक हिंसा की कार्यवाहियां की थीं। तो गांधी पर भगत सिंह को बचाने का नैतिक उत्तरदायित्व कहां से आ जाता है?

Read More

रूस-यूक्रेन युद्ध और इसमें अमेरिका-नाटो के हस्तक्षेप का विरोध क्यों किया जाना चाहिए

पूर्वी यूरोप के देश नाटो के साथ गोलबंद हो रहे हैं, लेकिन वहां की जनता में ‘महान रूस’ की अवधारणा जगह बना रही है। पूर्वी यूरोप में यह तनाव उसे गृहयुद्ध की तरफ ले जाएगा, जैसा कि यूक्रेन में हो चुका है। इन गृहयुद्धों का प्रयोग आमतौर पर साम्राज्यवादी खेमे के किसी एक देश के कब्जे में ही बदलता है। ये देश रूस या अमेरि‍का का निवाला बन जाएंगे और जनता गुलामी के भंवर में फंस जाएगी।

Read More

आर्थिक असमानता को बढ़ा रहा है भूजल का अंधाधुंध दोहन, भयावह है आने वाला समय!

यूनिसेफ द्वारा 18 मार्च 2021 को जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में 9.14 करोड़ बच्चे गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। बच्चों के जल संकट के लिए अतिसंवेदनशील माने जाने वाले 37 देशों में से एक भारत भी है। यूनिसेफ की रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2050 तक भारत में वर्तमान में मौजूद जल का 40 प्रतिशत समाप्त हो चुका होगा।

Read More

सामाजिक न्याय और दलित भागीदारी की बात करने वाले दल क्या ब्राह्मण वोटों की लालसा त्याग पाएंगे?

अगर ब्राह्मणों को मुसलमानों से कोई समस्या होती तब मुसलमानों से दूरी बनाने के बाद अखिलेश यादव को ब्राह्मणों ने वोट दिया होता जबकि ऐसा कुछ नहीं हुआ। जाहिर सी बात है अखिलेश यादव ब्राह्मणों का मूड समझने में चूक गए। ब्राह्मण समुदाय को मुसलमान विरोधी साबित करने की एक असफल कोशिश अखिलेश यादव ने की है।

Read More

पंजाब चुनाव: नोटा से भी कम पर सिमट गयी कम्युनिस्ट पार्टियां चर्चा का विषय क्यों नहीं हैं?

उत्तर प्रदेश में बसपा के एक सीट जीतने पर बौद्धिक समाज में जैसी खलबली देखी गयी वैसी कम्युनिस्ट पार्टी के बंगाल में लगातार दो बार हारने के बाद भी नहीं देखी गयी। पंजाब में नोटा से भी कम वोट मिलने पर कम्‍युनिस्‍ट पार्टियों पर कोई चर्चा न होना और भी चौंकाता है।

Read More

चंद्रशेखर के साथ गठबंधन न करने की चूक क्या समाजवादी पार्टी को भारी पड़ी?

चुनावों में धारणा और उसके संकेतों का बहुत महत्व होता है। चंद्रशेखर रावण के इस भावुक अंदाज ने दलित मतदाताओं को एक संदेश देने का काम किया कि समाजवादी पार्टी को उनके नेता की परवाह नहीं है। इतना ही नहीं, अपने को अपमानित करने का आरोप लगाते हुए चंद्रशेखर रावण ने दलित समुदाय के मुद्दे पर अखिलेश यादव के रवैये को लेकर भी जो प्रश्न उठाए, उन सबने दलित वर्ग के एक तबके को समाजवादी पार्टी से अलग करने का काम किया।

Read More

उपभोक्ता अधिकार दिवस: डिजिटल लेनदेन में पारदर्शिता की राह अभी लंबी है

फाइनेंस का डिजिटलीकरण बड़ी सरलता से यह स्थिति उत्पन्न कर सकता है कि आम आदमी का उसकी अपनी जमा पूंजी पर नियंत्रण समाप्त हो जाए। कैशलेस होना चॉइसलेस होना भी है, जमापूंजी के डिजिटल स्वरूप पर आम आदमी की तुलना में सरकार और बाजार का अधिक नियंत्रण होगा।

Read More

‘वल्गर’ समाजवाद व आइडेंटिटी पॉलिटिक्स की वैचारिकी की भूलभुलैया और कांग्रेस का भविष्य

सवाल है कि उत्तर प्रदेश में इस चुनाव में कांग्रेस क्या हासिल करना चाहती थी और कैसे हासिल करना चाहती थी। प्रियंका और कांग्रेस इस ‘क्या’ के बिंदु पर क्लियर थी कि उसे उत्तर प्रदेश में निष्क्रिय पड़ी पार्टी को पुनर्जीवित करना है। ‘कैसे’ के बिंदु पर कांग्रेस के पास कोई बुनियादी कार्यक्रम नही था। संगठन मजबूत करना है, यह तो पता था पर कैसे करना है इसको लेकर समझ का अभाव था।

Read More