अबकी तलवार लहराती और आग लगाती भीड़ को देखकर मेरे राम निश्चित ही आहत हुए होंगे!

लगभग हर प्रदेश में- और आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों द्वारा शासित प्रदेशों में भी- इन शोभायात्राओं का स्वरूप एक जैसा था- उकसाने, भड़काने और डराने वाला। इन शोभायात्राओं को मुस्लिम-बहुल इलाकों तथा मुस्लिम धर्मस्थलों के निकट से गुजरने की इजाजत निरपवाद रूप से लगभग हर जिले में दी गई।

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डॉ. आंबेडकर का सामाजिक सुधार और आज का परिदृश्य

आंबेडकर सामाजिक असमानता के ख़िलाफ़ हमेशा मुखर रहते थे। जहां कहीं भी उनको अवसर मिलता था वह इस मुद्दे को उठाते थे। संविधान सभा में लोकतान्त्रिक व्यवस्था को लेकर आंबेडकर का मानना था कि राजनीतिक लोकतंत्र से पहले सामाजिक लोकतंत्र की आवश्यकता है।

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जलियांवाला बाग़ क़त्लेआम 103 साल बाद: साझी शहादत साझी विरासत की सरकारी बस्तों में बंद गौरवगाथा

विदेशी शासकों के अत्याचारों और भारतीय जनता के प्रतिरोध के एक पूरे चरण पर प्रकाश डालती इस प्रदर्शनी का सबसे सशक्त हिस्सा था उस प्रतिबंधित साहित्य की उपस्थिति, जो अंग्रेजों ने ज़ब्त करके ख़ुफ़िया विभाग की फ़ाइलों में नत्थी कर दिया था। ये देश की हर भाषा में लिखा गया था।

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राम को पूजने के लिए आपको खुद पुरुषोत्तम होना होगा अर्थात अज्ञान से निकलना होगा…

कोई कर्म करने से पहले अपने ह्रदय में भगवान श्रीराम को विराजमान करिए। यहां पर भगवान श्रीराम हृदय में एक छोटे स्वरूप में आए। वहीं पर कुरुक्षेत्र में अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने अपने विराट स्वरूप का दर्शन करवाया जिसमें समस्त ब्रह्मांड उनके भीतर था। इसलिए यह जिज्ञासा कभी होनी ही नहीं चाहिए कि यह ब्रह्म कौन है। ‘अहम् ब्रह्मास्मि’- यह बात ही सर्वथा सत्य है कि आप स्वयं में ही ब्रह्म हैं।

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पूंजीवादी उत्पादन प्रक्रिया में श्रम और पूंजी के अंतर्संबंध

श्रम के स्थान पर पूँजी की मात्रा बढ़ाकर उत्पादन उसी सफलता से चलाया जा सकता है। हाथ से लिखने के स्थान पर कम्प्यूटर के प्रयोग द्वारा अधिक छपाई की जा सकती है। इसलिए श्रमिकों की संख्या कम करके कम्प्यूटर के रूप में पूँजी का अनुपात बढ़ाकर उत्पादन चलाया जा सकता हैं। अब रोबोट का इस्तेमाल भी विभिन्न सेवाओं और उत्पादन क्रियाओं मे़ किया जाने लगा है। आज यह उन्नत प्रौद्योगिकीय पूंजीवाद का मूल सिद्धांत है।

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अमेरिका से दोस्ती मने जी का जंजाल: अतीत से कुछ वैश्विक सबक

अमरीका से दोस्ती बढ़ाकर हम पाकिस्तान के अंजाम को भूल गए हैं। उसने पाकिस्तान का जो हाल किया है वह किसी से छुपा नहीं है। आज पाकिस्तान एक विफल राष्ट्र है। वहां चारों ओर आतंकवाद की वह फसल लहलहा रही है जिसके बीज 70 व 80 के दशक में अमरीका ने ही बोये थे।

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दुनिया के पास ग्रीनहॉउस उत्सर्जन आधा करने के लिए अब केवल आठ साल बचे हैं!

IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट (AR6) की तीसरी किस्त (WG3) बताती है कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अब शायद बस एक आखिरी मौका ही बचा है और इस मौके का फायदा अगले आठ सालों में ही उठाया जा सकता है। इस काम के लिए इस दशक के अंत तक उत्सर्जन को कम से कम आधा करने के लिए तेजी से नीतियों और उपायों को लागू करना पड़ेगा।

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हैदराबाद: भोईगुड़ा अग्निकांड में मारे गए 11 प्रवासी मजदूरों की जिम्मेदारी कौन लेगा?

मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतक के परिवारों को मुआवज़े देने की घोषणा कर दी है। परिवारों को क्रमश: 5 लाख और 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी 2 लाख रुपये की घोषणा की है और इस घटना पर दुख जताया है।

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खैरात का राजनीतिक अर्थशास्त्र और उसमें छुपा जनता की गुलामी का सूत्र

ली क्वान यु ने बिजली या पानी बिल माफ़ करने के बदले लोगों की बचत को उनकी कमाई का 45 फीसदी तक कर दिया जिसका फल यह निकला कि सिंगापुर में लोग कार्य करने के लिए प्रेरित हो रहे थे। वहीँ मलेशिया अपनी मलय संस्कृति को लेकर अँधेरे और गरीबी की गर्त में डूबता गया।

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भगत सिंह की फांसी और महात्मा गांधी की जिम्मेदारी का सवाल

भगत सिंह के कार्यों को सही ठहराने की जिम्मेदारी कम से कम गांधी की नहीं थी। और साफ कहूं तो गांधी पर भगत सिंह को बचाने की कोई नैतिक जिम्मेदारी भी नहीं थी। न ही भगत सिंह ने गांधी की जानकारी में या गांधी से पूछकर अपनी राजनीतिक हिंसा की कार्यवाहियां की थीं। तो गांधी पर भगत सिंह को बचाने का नैतिक उत्तरदायित्व कहां से आ जाता है?

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