किसानों को फिर अगली तारीख मिली, परेड को लेकर आंदोलन में उभरे मतभेद


किसानों और केंद्र सरकार के बीच नौवें दौर की बातचीत आज दोपहर शुरू हुई और बिना किसी नतीजे पर पहुंचे समाप्त हो गयी। किसानों के प्रतिनिधियों ने अपनी पहली मांग से कोई समझौता नहीं किया है और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर ही अड़े हुए हैं।  

सरकार की तरफ से ऐसे संकेत आए थे कि यदि आज किसान संगठनों के साथ बातचीत में कोई रास्‍ता नहीं निकलता तो संभवत: यह आखिरी बैठक हो क्‍योंकि सुप्रीम कोर्ट की गठित की हुई कमेटी की पहली बैठक चार दिन बाद 19 जनवरी को है जबकि सरकार की तात्‍कालिक प्राथमिकता 26 जनवरी को किसानों को समानांतर परेड करने से रोकने की है। सरकार ने हालांकि 19 जनवरी को फिर बैठक रख दी है।

इस बीच लगातार आठ दौर की बातचीत के दौरान सोयी रही कांग्रेस पार्टी की अचानक नींद खुली तो उसने आज किसान अधिकार दिवस का कॉल दे दिया और राहुल गांधी व प्रियंका गांधी समर्थकों सहित दिल्‍ली के जंतर-मंतर पर पहुंच गए। शाम को वहां बैठे कांग्रेसी सांसदों को दिल्ली पुलिस ने उठा लिया।

किसानों के समर्थन में दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पंजाब के कांग्रेस सांसदों के साथ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने मुलाकात की। उधर राज्‍यों में कांग्रेसी कार्यकर्ता राजभवनों को घेर कर किसानों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन कर रहे हैं। की जगह पर गिरफ्तारियाँ भी हुई हैं।

किसानों के समर्थन में दिल्ली की सड़कों पर उतरे राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी

गणतंत्र दिवस को आज जबकि केवल दस दिन बच रहे हैं, किसान संगठनों के बीच भी कार्यक्रम को लेकर सुगबुगाहट बढ़ गयी है। गुरुवार को किसान नेता राजेवाल की किसानों के नाम एक खुली अपील के बाद योगेंद्र यादव, दल्‍लेवाल आदि इस पक्ष में आ गए हैं कि दिल्‍ली के भीतर किसानों को परेड नहीं करनी चाहिए।

राजेवाल की अपील को लेकर गुरुार को दिन भर किसान आंदोलन के भीतर चर्चाएं गरम रहीं। कुछ और नेताओं ने साफ़ कह दिया कि किसी एक नेता के कहने से कुछ नहीं होता, संयुक्‍त किसान मोर्चा की तरफ से आधिकारिक कार्यक्रम जो पूर्वघोषित है, वही रहेगा।

एक अहम घटनाक्रम में गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट की बनायी कमेटी के वरिष्‍ठतम सदस्‍य भूपिंदर सिंह मान ने किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए कमेटी से नाम वापस ले लिया। इसके बाद सरकार की बहुत भद्द पिटी है।

किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट की बनायी कमेटी से भूपिंदर मान ने नाम वापस लिया

आज चल रही वार्ता के आखिरी होने की पूरी आशंका थी, लेकिन अगली तारीख 19 जनवरी की पड़ने से किसानों और सरकार के बीच पसरे तनाव को थोड़ा राहत मिलती दिख रही है।


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *