बनारस के बुनकर तबाही के मुहाने पर हैं। कोरोना ने एक तो उनकी रोजी छीन ली है, दूसरे बिजली के बढ़े दामों ने जीना मुश्किल कर दिया है। ऐसे में मुफ्ती-ए-बनारस ने अपने सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बिजली दर की पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग करते हुए एक अपील जारी की है।
बीते अप्रैल में लॉकडाउन के शुरुआती चरणों में ही बुनकरों के बीच भुखमरी की खबरें आनी शुरू हो गयी थीं। तब इस मसले पर दस दिन के भीतर बनारस से दो पत्र बुनकरों की बदहाली के सम्बंध में प्रधानमंत्री को भेजे गए थे। एक पत्र 15 अप्रैल को जिला खाद्य सुरक्षा सतर्कता समिति के सदस्य और मानवाधिकार जन निगरानी समिति के प्रमुख डॉ. लेनिन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को बजरडीहा के आठ परिवारों के सम्बंध में लिखा था, जो भुखमरी के कगार पर थे। इसके सप्ताह भर बाद बुनकर दस्तकार अधिकार मंच के अध्यक्ष इदरीस अंसारी ने बनारस के सांसद और प्रधानमंत्री को ख़त लिखकर करघों को खोले जाने और बुनकरों की आर्थिक मदद करने की गुहार लगायी थी।
अभी दो दिन पहले ही कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा था कि यूपी में बिजली की दरें कम्पनियों के फायदे के लिए बढ़ाई गईं हैं। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से घरेलू फिक्स्ड चार्ज व कामर्शियल न्यूनतम चार्ज ख़तम करने व किसानों के लिए बिजली दरों में कमी किए जाने की मांग एकदम जायज है। सरकार को इसपर विचार करना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी बुनकरों की बदहाली का सवाल उठा चुके हैं। इस संबंध में इंजीनियर दुर्गा प्रसाद की यह टिप्पणी पढ़ी जानी चाहिए:
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