हफ्ते भर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों के प्रतिनिधियों की आज सरकार के साथ चौथे दौर की वार्ता तय है। बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि मंत्री को देर शाम लिखे एक पत्र में इस बात पर संतोष जाहिर किया है कि अब बिना गृह मंत्री और रक्षा मंत्री की मौजूदगी के केवल कृषि और किसान कल्याण मंत्री के साथ बेशर्त वार्ता होगी।
क्रांतिकारी किसान मोर्चा के डॉ. दर्शन पाल की तरफ़ से कृषि मंत्री को भेजे गये इस पत्र में साफ़ कहा गया है कि बातचीत के लिए प्रतिनिधियों का चयन सरकार नहीं करेगी बल्कि संघर्षरत किसान समूह करेंगे। इसके अलावा सरकार से एक बात यह सुनिश्चित करने की मांग की गयी है कि किसान समूहों के साथ समानांतर बातचीत नहीं की जाएगी।
गौरतलब है कि 1 दिसंबर को हुई वार्ता के बाद उसी शाम कृषि मंत्री ने कृषि भवन में भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राकेश टिकैत के साथ अलग से मुलाकात की थी, जिसके बारे में टिकैत ने सार्वजनिक सूचना दी थी।
इस बारे में 2 दिसंबर को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में दर्शन पाल ने स्पष्ट कर दिया कि टिकैत से बात हो चुकी है और अब सभी समूह साथ हैं।
पत्र में कहा गया है कि किसान संगठनों को एक्सपर्ट पैनल वाला प्रस्ताव नामंजूर है और वे कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए एक संसदीय सत्र बुलाने की अपनी मांग को दुहराते हैं।
इसके अलावा मोर्चे ने यह मांग की है कि उसे लिखित में दिया जाय कि सरकार बिजली संशोधन कानून 2020 संसद में पेश नहीं करेगी।