छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार और भूमकाल समाचार के सम्पादक कमल शुक्ला के ऊपर कांकेर में हुए हमले के पीछे खतरनाक राजनीति चल रही है। एक ओर सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की ओर से उन्हें पद और मुआवजा इत्यादि का प्रलोभन दिया जा रहा है तो दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी और आरोपियों की तरफ़ से मामले को साम्प्रदायिक रंग देकर तनाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है।
इतना ही नहीं, शुक्ला के ऊपर जो हमले का आरोपी है उसने भी मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। जनपथ से फोन पर लंबी बातचीत में शुक्ला ने अहम उद्घाटन किया है। उन्होंने बताया:
‘’भाजपा मेरे मंच पर आ रही थी मगर मैंने उनको डपट दिया। भाजपा आ के वहां कर रही थी कोशिश… जब मैं कांकेर में बैठा था तब आये थे लोग। उनका सांसद आया, भाजपा के कार्यकर्ता, संगठन मंत्री, जिलाध्यक्ष, वगैरह आये। भाजपा के कई लोगों ने बात भी किया। फोन पर ही कुछ लोग गलत बात किये और वहां आ के भी गलत बात किये। वो लोग बोले कि आपको मारने वाले मुसलमान हैं, ये जान के हमको बहुत दुख हुआ। मैंने कहा कि बिलकुल इस तरह से बात करेंगे तो मेरे मंच से हट जाइए। मेरे को मारने वाले केवल कांग्रेसी गुंडे थे और इसका उलटा सीधा फायदा उठाने का मत सोचिए।‘’
उन्होंने एक और बात बतायी जो चौंकाने वाली है, ‘’और कांग्रेस ने भी कोशिश किया। वो जो कांग्रेस का गफ्फार मेमन है जिसने मुझे मारा है, जो वहां के विधायक का सेक्रेटरी है, वो यहां का सबसे बड़ा रेत माफिया है। ये खेल वहीं से शुरू हुआ। वो जो है मस्जिद में बैठक कराने का कोशिश किया, कि कमल शुक्ला मंदिर का पुजारी है, हिंदू है, ये मुसलमानों का दुश्मन है। उसका जवाब तो वहीं कांकेर के मुस्लिमों ने दे दिया। लोग बोले कमल शुक्ला इकलौता आदमी था जो हमारे सीएए और एनआरसी के प्रोटेस्ट में अकेला हमारे साथ बना रहा। इस तरह से उसका प्रस्ताव वहां पारित नहीं हो पाया, नहीं तो वो भी दंगा फसाद कराने की तैयारी में थे।‘’
कमल शुक्ला के मुताबिक भाजपा को उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि साथ आने की जरूरत नहीं है क्योंकि दोनों पार्टी का मकसद एक ही था कि किसी तरह तनाव और दंगा फसाद हो जाए।
कमल शुक्ला फिलहाल रायपुर के बूढ़ातालाब धरनास्थल पर आमरण अनशन कर रहे हैं। उन्हें अनशन पर बैठे चौबीस घंटा हुआ है और उनकी हालत स्थिर है, लेकिन वे मौजूदा हालात से बहुत निराश और क्षुब्ध हैं। उन्हें इस बात की शिकायत है पत्रकार सतीश यादव पर हमले की बात को जातिवादी लोगों ने गोल कर दिया और उन पर हमले को लेकर जांच समिति बना दी।
उन्होंने कहा, ‘’सतीश यादव की मारपीट पर तो कुछ हुआ ही नहीं। केवल कमल शुक्ला के मामले में जांच हो रही है। उसके साथ मारपीट ज्यादा हुई है। उसमें तो कमेटी नहीं बनाये। मेरे मामले में कमेटी बना दिये। इस तरह का दोहरा मापदंड है।‘’
उन्होंने कहा कि मुझे कमेटी और कांग्रेस के लोगों ने प्रलोभन दिया। कमल शुक्ला को कुछ पत्रकारों से खास तौर पर शिकायत है जो इस बात का प्रचार कर रहे हैं कि शुक्ला मुआवजा लेने को तैयार हो गये हैं। उन्हें इस बात का दुख है कि रुचिर गर्ग उनका फोन नहीं उठाते हैं और विनोद वर्मा उन्हें ब्लॉक कर के रखे हुए हैं।
शुक्ला ने यह भी बताया एक ऑडियो वायरल हो रहा है जहां उन्हें मारने वाले आरोपी पार्टी मना रहे हैं और कह रहे हैं कि मज़ा आ गया।