आदिवासी नेता अकलू चेरो की गवाही


आंबेडकर जयन्‍ती के कनहर गोलीकांड का अविकल विवरण

(प्रस्‍तुति: अभिषेक श्रीवास्‍तव) 


आंबेडकर जयन्‍ती को कनहर में हुए गोलीकांड में गोली लगने के तुरंत बाद अकलू 



”… उस दिन हम लोग तीन साढ़े तीन सौ रहा होगा… महिला और पुरुष। पहले धरना में जुट के न हम लोग यहां आए थे। उसके बाद जब वहां आए तो कोई फोन के माध्‍यम से कह दिया। अब नाम नहीं बता पाएंगे… सब लगे हैं जासूसी में… उनको कमीशन मिल रहा है न भाई। तो कोई फोन के माध्‍यम से कह दिया उनको। अब गाड़ी आ के खड़ा हो गयी तुरंत पुलिस की… जहां बाउंड्री किया है। हम कहे देखो अब नहीं सपोर्ट कर पाओगे… गाड़ी आ गयी। पहिला गाड़ी आया, दूसरा आया, फिर तीसरा आया। तीन गाड़ी आया। इतना कहते हुए सारे लोग चले गए धरनास्‍थल से। जब आए हैं तो हम जो हैं मोर्चा पर रहे। हम सोचा कि मोर्चा पर नहीं रहेंगे तो कोई संभाल नहीं पाएगा। मोर्चा पर रहने के वजह से यह घटना मेरे साथ घटी। वहां से जब चले हैं, यहां आते तक पुलिस वगैरह भी, पीएसी के लोग भी भाई, कोई अभी लाइट्रिन-बाथरूम नहीं नाश्‍ता पानी नहीं… छह बजे क बाते रहा। तब तक से वहां रोकना शुरू… हम कहे कोई मत मानना, एकदम चलते रहना, हम हैं न! भाई बात होगा तो बात हम करेंगे… आप लोग सुनना, पास करना- हां, ठीक कह रहे हैं… ऐसे करना। तब से वहां से रोकने का समय ही नहीं मिला उन लोगों को। तब फिर पूछते हुए गाड़ी से उतर गए। फिर कुछ लोग गाड़ी स्‍टार्ट किए, बीच में आ गए। हम कहे अगर बीच में गाड़ी अगर हॉर्न मारेगा तो तुम लोग चक्‍का जाम करे रहना, रुकना नहीं, जाने नहीं देना। ऐसा ही किया लोग। आगे-आगे हम और महिला-पुरुष चलते रहे।
अब जो है डीएम साहब उधर से चले। हमको मौका नहीं दिए। उतर के चले हैं डंडा पटकते से चले हैं। इसके बाद गाली-गलौज देने लगे, एकाध महिलाओं पर डंडा चला दिए। डीएम रहे, कोतवाल रहे, इंस्‍पेक्‍टर साहब रहे… मोर्चे पर। मौके से रहे डीएम साहब, दरोगा रहे कपिल यादव, कोतवाल रहे। इसके बाद में जो है… जब उन लोग गोली चलाया हमारे ऊपर… अचानक से… ऊ लोग जान रहे थे कि रस्‍ता हम लोग देबे नहीं करेंगे। माइक-वाइक का कहां समय था उन लोग के पास… वो लोग बोले, जाना नहीं है, चलो… लाउडस्‍पीकर पर कोई चेतावनी नहीं दिए। ओरिजिनल गोली मार दिया… ऐसा हमको मालूम होता न कि गोली मारेंगे तो ऐसा घटना होबे नहीं करता… हमको मारकर के अपने हाथे में गोली मार लिए हैं और कह दिए कि ये मारे हैं… बताइए… ई कपिलदेव। इन लोग का जो पीएसी गाड़ी है… जो बस वाली, बीचे में रोक दिया। ऊ लोग सोचे कि बीच में बसवे लगा दो त कइसे जनता क्रास करेगा। त जनता जब पहिले से सतर्क है न… कुछ उधर से पत्‍थरबाजी पीएसी की ओर से तो कुछ इधरो से चलने लगा। गडि़यो पर मार दिया, सिसवा सब फूट फाट गया। उन लोग कहे कि ये प्राइवेट बस पर क्‍यों मार दिया। हम कहे आपे लोग क गडि़या है… अंदाजा है… बात कर रहे हैं। उस समय लगभग पचास-पचपन के आसपास पुलिस रहे होंगे। कोई आदेश नहीं था ऊपर से… कुच्‍छ नहीं, सब अपना मनमानी किया।
गोली छाती पर मारी गयी थी: बीएचयू में भर्ती अकलू 
वो तो हमको निगाह चढ़ाया था 23 मार्च को भगत सिंह के दिवस पर… हम लोग हर साल मनाते हैं। उसी दिन हमको निगाह चढ़ाया था। हम भी समझ गए थे। त हम लोग कहे कि हम लोग का जलूस उठेगा… पूरा मार्केट बाजार होते हुए जलूस उठेगा और धरने स्‍थल पर भगत सिंह क चित्र टांग टूंग के हम लोग अगरबत्‍ती जलाएंगे, फिर जनता घर जाएगी। 

करीब 250 जनता त एकदम चलते रहा… 100 जनता करीब पीछे रहा, त फुटने लगा। देखा पीछे जब त एतना जलता फुटने लगा। गोली लगने के बावजूद हम कहा कि ठीक कर रहा है तुम लोग न, भाग जाओ। फिर कोई कहा कि भगो मत, जो हुआ होना था, हो गया। फिर सब वापस आ गया। वो जो अपने को गोली लगाए हैं न… तो हम लोग त पीछे हैं, वो लोग क रस्‍ता अइसे है। हम लोग के आने से पहले ऊ लोग यहां आकर के हास्पिटल में दुद्धी दवा-इलाज कराना शुरू कर दिए। ये त हम लोग फोन किए, तब मीडिया वाला अखबार लत्‍ता पहुंचे। दो साथी हमको ले जाने को तैयार हो गए- एक लक्ष्‍मण और अशर्फी।*** ऊ लोग चल दिए। गाड़ी आया। उसमें हमको बैठाए हैं। उसके बाद दुद्धी आए। उसके बाद महेशानंद क लड़का गौरव… उनको पता चल गया। ऊ दौड़कर आए हैं। फिर तुरंत कराए… फिर लिखने-पढ़ने का काम, दवा करने का काम कराए। कहा कि पानी बोतल सब कर देते हैं लेकिन इनको हम यहां इनको भर्ती नहीं कर पाएंगे क्‍योंकि गोली लगा है… सरकारी अस्‍पताल में। त वहां से रेफर होके आ गए रॉबर्ट्सगंज। तो अशर्फी और लक्ष्‍मण जो बोले हैं, ऊ लोग भी साथ आए। मीडिया वाला को पता चल गया होगा, तो वहां ऊ लोग भी आए। बातचीत किए। फिर इहों से रेफर हुआ… बोला यहां भी नहीं होगा। लास्‍ट में यहां बीएचयू पहुंचे हैं बनारस में।
देह को छेदते हुए गोली पीछे से निकल गयी थी: बीएचयू में भर्ती अकलू 

जब यहां बस खड़ा हुई है तो ये हुआ कि हम लोग चलेंगे घर इनको भर्ती करा के… त कौन कौन रहेगा- अशर्फी और लक्ष्‍मण। अब देखिए इनकी धोखा। हमारा आदमी जो रेगुलर रहने वाला, उनको चाय के नाम पर लेकर ऊ चले गए। ऊ लोग दूनो लापता हैं। हमको भी नहीं पता कहां हैं। वहां से आदेश है इन लोग को दिक्‍कत नहीं होना चाहिए। बताइए, जो हमारा दवाई, इलाज, पानी करता, उसको उठा ले गया। दूनों गायब हैं। कोई हमको कहा कि होटल में हैं। गांव नहीं पहुंचे। उसी दिन से गायब हैं… मंगलवार को।
इंस्‍पेक्‍टर साहब आएंगे अभी। कल से यहां पुलिस भी दो आ रहे हैं। इंस्‍पेक्‍टर साहब आए थे, पूछे कि दवा ठीक हो रहा है। वो अनाप-शनाप नहीं बोलते। कोई धमकी नहीं दिए हैं। सुन्‍दरी के हाल बहुत गंभीर है अभी… हमको बहुत अखर रहा है। अभी हम होते वहां तो… उस दिन 20 या 15 लोग घायल हुए थे। तुरंते दुद्धिए में उन लोग का दवाई हुआ। महिला लोग थे। डॉक्‍टर साहब हमसे पूछे कि ठीक हैं तो हम बोले कि थोड़ा प्रॉब्‍लम है। वो बोले कि जब कहोगे तब छोड़ देंगे।
कल से जैसे पुलिस आ रहा है, तो हमारे दिमाग में आ रहा है कि शायद पुलिस सोचता होगा कि हमको जइसे छोड़ेंगे तो वो पकड़ लेंगे। ऐसा हमको लग रहा है। हमको डरने की बात नहीं है।” 
(19 अप्रैल की सुबह हुई बातचीत)
(अकलू चेरो दुद्धी तहसील के सुन्‍दरी गांव का निवासी है। कनहर बांध विरोधी धरने में 14 अप्रैल को हुई गोलीबारी में एक गोली अकलू के सीने के पास से आरपार हो गयी थी। फिलहाल वह बीएचयू में भर्ती है)
***(सोनभद्र के पुलिस अधीक्षक शिवशंकर यादव ने 20 अप्रैल को बताया कि लक्ष्‍मण और अशर्फी को गिरफ्तार कर के मिर्जापुर की जेल में रखा गया है और उनके ऊपर सरकारी काम में बाधा डालने, बलवा करने और पुलिस पर हमला करने के आरोप हैं। उन्‍हें कहां से और कब उठाया गया, इसकी जानकारी नहीं दी गयी।) 

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2 Comments on “आदिवासी नेता अकलू चेरो की गवाही”

  1. कुछ सोच के घबरा जाता हूँ कुछ सोच के गुस्सा हो जाता हूँ Your Fucking Civilization you Ass holes !!

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