जलियांवाला बाग़ क़त्लेआम 103 साल बाद: साझी शहादत साझी विरासत की सरकारी बस्तों में बंद गौरवगाथा
विदेशी शासकों के अत्याचारों और भारतीय जनता के प्रतिरोध के एक पूरे चरण पर प्रकाश डालती इस प्रदर्शनी का सबसे सशक्त हिस्सा था उस प्रतिबंधित साहित्य की उपस्थिति, जो अंग्रेजों ने ज़ब्त करके ख़ुफ़िया विभाग की फ़ाइलों में नत्थी कर दिया था। ये देश की हर भाषा में लिखा गया था।
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