शिक्षा में तत्कालीन चुनौतियां और महात्मा गांधी

देश में व्याप्त तत्कालीन जितनी भी समस्याएं हैं, उनके निवारण हेतु महात्मा गाँधी द्वारा 1937 (वर्धा शिक्षा योजना) में प्रस्तावित शिक्षा नीति जिसे ‘बेसिक शिक्षा’ के नाम से जाना जाता है, बहुत ही उपयुक्त है।

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कोरोनाकाल में स्कूली शिक्षा के अभाव ने बच्चों का भविष्य अंधेरे में छोड़ दिया है

आभासी कक्षा उनके लिए वरदान सिद्ध हुई हैं जो घर बैठे पढ़ना चाहते हैं-जैसे विवाह के बाद तमाम लड़कियों की शिक्षा बाधित हो जाती है, तो वे इसका लाभ ले सकती हैं। पैर टूट जाए तो भी कोई छात्र घर पर कक्षाएं कर सकता है पर सामान्‍य स्थिति में बच्चों के लिए यह बिल्कुल कारगर नहीं है। गाँधी जी ने जो ट्रिपल एच (मस्तिष्क, हृदय और हाथ) के विकास की अवधारणा दी है उसमें यह बिल्कुल असफल है। ऑनलाइन कक्षा केवल विकल्प है, इससे केवल काम चलाया जा सकता है, यह पूर्ण समाधान नहीं है।

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