गाँधी की हत्या का सिलसिला जारी है…

गाँधीजी के प्रति नफ़रत या घृणा कोई नयी परिघटना नहीं है लेकिन जो नफरत पहले कहीं थोड़ी दबी हुई थी अब वो खुलकर बाहर आ रही है क्योंकि इन नफरती ताकतों के लिए मीडिया अनुकूल वातावरण मुहैया करा रहा है।

Read More

स्मृतिशेष: ‘दिल्ली की सेल्फ़ी’ के जुनूनी प्रकाशक जतिंदर, जिनमें ‘अखबार निकालने का कीड़ा’ था!

जतिंदर जी को अख़बार निकालने का इतना जूनून था कि आज से 20 साल पहले उन्होंने ‘अलर्ट टाइम्स’ नाम से अंग्रेजी साप्ताहिक शुरू किया था और उसके लोकार्पण के लिए पूर्व सीबीआई प्रमुख जोगिन्दर सिंह को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया था।

Read More

उत्तरी बंगाल: कूच बिहार की घटना बदल सकती है बाकी चार चरणों की तस्वीर

जिस तरीके से कूच बिहार की घटना पर ममता बनर्जी ने प्रतिक्रिया देते हुए सिलीगुड़ी में प्रेस कान्फ्रन्स रख के पत्रकारों के सामने फोन पर गोलीबारी के शिकार एक व्यक्ति से बात करवायी, यह दिखाता है कि अगले चार चरण में तृणमूल अपनी सत्ता बचाने के लिए पूरे दम खम के साथ भाजपा को चुनौती देगी.

Read More

तापसी के पिता की खामोशी कह रही है कि सिंगुर का ब्याज अबकी ममता को नहीं मिलेगा!

सिंगुर में 10 अप्रैल को मतदान होना है। इतना तय है कि अगर सिंगुर ने ममता को खारिज कर दिया तो राज्‍य में उनकी वापसी संदेह के घेरे में आ जाएगी। फिलहाल शहीद के पिता की सावधान ज़बान इतना जरूर संकेत दे रही है कि सिंगुर आंदोलन का ब्याज ममता को जितना मिलना था, मिल चुका।

Read More

तोलाबाज़ी और तुष्टीकरण: ममता बनर्जी से व्यापक नाराजगी के दो अहम कारण

बीजेपी के पास चुनाव लड़ने के लिए यहां यही दो मुद्दे हैं – ममता राज में भ्रष्टाचार और मुस्लिम तुष्टीकरण। इन दो मुद्दों को जनता के बीच उतारने में भाजपा सफल रही है, ऐसा दावा किया जा सकता है।

Read More

BJP में मिथुन: विधायक से मंत्री बन चुके फाटाकेष्टो की कहानी का स्वाभाविक अंत यहीं होना था!

ज्योति बसु आज जीवित होते तो क्या सोचते पता नहीं। गौरांगो चक्रवर्ती यानी अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने औपचारिक रूप से बीजेपी का भगवा चोला पहन लिया है। मिथुन चक्रवती को एक समय ज्योति बसु का ख़ास और प्यारा माना जाता था। खुद मिथुन ने एक बंगला चैनल को इन्टरव्यू देते हुए बताया था कि ‘ज्योति अंकल’ उन्हें खूब मानते हैं और उनसे उनका रिश्ता बहुत पारिवारिक और निजी है।

Read More

एक कॉल की दूरी के बीच बिन मांगे तोहफ़ों की दीवार खड़ी है!

2 फरवरी को न्यूज़लॉन्‍ड्री की रिपोर्टर निधि सुरेश जब सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन कवर करने गयीं तो उनको आंदोलनस्थल पर किसानों के मंच तक जाने नहीं दिया गया. एक पुलिस अधिकारी ने निधि से प्रेस कार्ड माँगा, उन्होंने अपना प्रेस कार्ड दिखाया तो पुलिस अधिकारी ने कहा- यह कार्ड नहीं चलेगा, कोई नेशनल ऑथराइज्‍़ड यानी राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त प्रेस कार्ड हो तो उसे जाने दिया जाएगा.

Read More

हिंसक कब्ज़ा बनाम कानूनी मंजूरी: लोकतंत्र में संसद पर एकाधिकार के दो चेहरे

संवैधानिक लोकतंत्र से छेड़छाड़ और उसमें बदलाव के दोनों तरीकों- भारतीय और अमेरिकी- में क्‍या कोई फ़र्क है? या दोनों एक ही सिक्‍के के दो अलग-अलग पहलू भर हैं?

Read More

पहले अडानी, अब अम्बानी की सफाई ने सरकार के साथ इनके गठजोड़ को उघाड़ दिया है!

जिस किसान आंदोलन को मोदी सरकार और उनके पूंजीपति मितरों ने हल्के में लिया था अब उसकी गहराई और गंभीरता उनकी नींद उड़ा चुकी है।

Read More

3 जनवरी, 1976: ‘सोशलिस्ट’ और ‘सेकुलर’ संविधान के 45 साल

भारत जैसे बहुधार्मिक/बहुजातीय लोकतंत्र में इन शब्दों विशेषकर पंथनिरपेक्ष का महत्त्व बहुत अधिक है, किंतु आज इसी पर सबसे अधिक खतरा है. देश की केन्द्रीय सत्ता में मौजूद भारतीय जनता पार्टी के नेता और समर्थक समय-समय पर सेकुलर शब्द पर हमला करते रहते हैं.

Read More