हार्दिक पटेल के कांग्रेस में होने का मतलब क्या है?

यह किसी के भी समझ में न आनेवाली बात है कि आखिर कांग्रेस अपने संभावनाशील युवा नेताओं की कद्र क्यों नहीं कर पा रही। सुष्मिता देब, जितिन प्रसाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया का जाना कांग्रेस के लिए नुकसानदेह रहा, लेकिन जो बचे हैं उनमें हार्दिक पटेल जैसे क्षमतावान युवा नेता को ताकत देने के मामले में कांग्रेस की कंजूसी समझ से परे है। गुजरात में वैसे भी कांग्रेस के पास खोने को बाकी रहा क्या है!

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लोकतंत्र की लूट है, लूट की सबको छूट!

संसद में माननीय कहे जाने वाले सांसदों का असंसदीय आचरण हमारे लोकतंत्र के गिरते स्तर का प्रतीक है। इस बार के संसदीय सत्र में हम सबने जो देखा, उस पर गर्व कैसे किया जाए नहीं, बल्कि शर्म कितनी की जाए, यह सबसे बड़ा सवाल है।

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