पत्रकारों की गिरफ़्तारी: गांधी जी की हत्या के संदर्भ में कुलदीप नय्यर की Scoop से कुछ सबक
अगली सुबह सम्पादक ने मुझे तलब किया— डाँट-फटकार के लिए नहीं, बल्कि यह समझाने के लिए कि वस्तुपरकता पत्रकारिता के मूल सिद्धान्तों में से एक है। इसीलिए, मुझे अच्छी या बुरी जैसी भी घटनाएँ हों, उनकी खबर बनाने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए और अपनी भावनाओं को अपने फैसलों पर हावी नहीं होने देना चाहिए। मुझे एहसास हुआ कि सम्पादक महोदय का कहना सही था।
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