नग़ीब माहफूज़ की कहानी “आधा दिन”

कायरो, मिस्र में 1911 में जन्मे नग़ीब माहफूज़ ने 17 वर्ष की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था. उनका पहला नाविल 1939 में शाया हुआ और 1952 में मिस्र की क्रांति से पहले उनकी लिखी दस और किताबें शाया हो चुकी थीं

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सुलतान क्या होता है, ये आपने कभी सोचा है? महमूद गज़नी को अल-बिरूनी उर्फ़ इरफ़ान का जवाब

प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के लिखे डिस्कवरी आफ इंडिया पर बने दूरदर्शन के सीरियल भारत एक खाेज में इरफ़ान खान जिन छह अध्यायों में हमें नज़र आते हैं, उनमें एक एपिसोड महमूद गज़नी पर है। इसमें वे दार्शनिक अल-बिरूनी के किरदार में हैं।

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किसी ने पीठ पर ठोंक कर कहा था, “आपका स्टेशन आ रहा है, प्लीज़ उतर जाएं”!

कैंसर के इलाज के दौरान उन्होंने अजय ब्रह्मात्मज को एक चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठी को दोबारा पढ़ा जाना चाहिए आज।

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एशिया के राष्ट्राध्यक्षाें से कैद पत्रकारों को छोड़ने की अपील, 74 अपीली संगठनों में CPJ, CAAJ और PVCHR

अभियान शुरू किये जाने के बाद से लेकर 31 मार्च तक कम से कम पांच पत्रकारों को रिहा किया गया है हालांकि उसके बाद भी कुछ देशाें में पत्रकारों की गिरफ्तारी की गयी है।

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वह शख्स जो अनंत को जानता थाः श्रीनिवासन रामानुजन पर प्रो. रवि सिन्हा का पूरा लेक्चर

यह लेक्चर दो हिस्सों में हैं। जनपथ के पाठकों के लिए हम पूरा लेक्चर दो हिस्सों के वीडियो में नीचे प्रकाशित कर रहे हैं।

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कोविड -19 के बाद की दुनिया को कोविड-19 के पहले की दुनिया से बेहतर बनाएं: एस. पी. शुक्ला

वेबिनार की शुरुआत विनीत तिवारी द्वारा दिए गए लेनिन के एक संक्षिप्त जीवन परिचय से हुई। जिसमें उन्होंने लेनिन के लेनिन बनने की प्रक्रिया को उनके परिवार की पृष्ठभूमि, उनके क्रांतिकारी भाई अलेकज़ान्द्र के फाँसी पर चढ़ाए जाने, प्लेखानोव, बाकुनिन, वेरा जासुलिश, टॉलस्टाय, गोर्की, क्रुप्सकाया आदि के सन्दर्भों के ज़रिए प्रस्तुत किया।

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आनन्द तेलतुंबड़े, गौतम नवलखा व अन्य के साथ एकजुटता का बयान

डॉ. तेलतुंबड़े और श्री नवलखा को UAPA के निरंकुश कानून के तहत जेल भेजा गया और यह हुआ डॉ. आंबेडकर की जयंती के दिन

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पत्रकारों की छंटनी और वेतन कटौती पर सुप्रीम कोर्ट में PIL मंजूर, केंद्र सहित INS-NBA को नोटिस

इस संयुक्त याचिका में कम से कम नौ मामलों का उदाहरण दिया गया है जिनमें वेतन कटौती, अनिश्चित काल तक कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजे जाने और नौकरी से निकाले जाने के मामले शामिल हैं।

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बहराइच का दोहरा हत्याकांड: मॉब लिंचिंग मानना तो दूर, एक में FIR नदारद तो दूसरे में धारा 302 गायब

बहराइच के नानपारा से पिछले दिनों मॉब लिंचिंग की एक खबर आयी थी। सामाजिक संगठन रिहाई मंच ने इस घटना की तफ्तीश की है। साथ ही कुछ दिन पहले हैदर अली नाम के मारे गये युवक के मामले में भी संगठन ने पड़ताल की है जो दिल दहलाने वाली है।

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