आदर्शों का लोप: राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान भारत के भविष्य की परिकल्पना: संदर्भ नेहरू और गांधी
एक औद्योगीकृत देश के रूप में भारत के संवैधानिक उभार व विकास की अंग्रणी राष्ट्रवादियों द्वारा सराहना को गांधीजी पूर्णत: खारिज करते थे। उनका उद्घोष था कि ”बिना अंग्रेज़ों के अंग्रेज़ी शासन” की कोई जगह ही नहीं थी।
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