महाभारत महामारी-कालीन: एक कविता

नेत्रहीन नहीं धृतराष्ट्रहैं वे दृष्टिहीन एक विकराल युद्ध केबन गए तमाशबीन भरी सभा में हुईएक अस्मिता वस्त्रहीन महामात्य रहे अचलभावशून्य मर्म-विहीन युद्ध छिड़ा सर्वत्रप्रचंड संगीन अनगिनत लाशों सेरणभूमि रंगीन लाखों …

Read More