सम्पादक को मदारी होना चाहिए, बन्दर नहीं

अवनीश मिश्र मुझे तो अव्वल ये आज तक पता ही नहीं चला कि जनसत्ता छपता क्यों है? और ऐसे क्यों छपता है जैसे मरे हुए का पिंडदान करना है? और …

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यह हिंदी की छिछली दुनिया है, छोड़ो, कुछ बेहतर करें: ओम थानवी

28 मई, दोपहर 2 बजकर 41 मिनट पर ओम थानवी का प्राप्‍त पत्र बंधुवर, लिंक भेजने के लिए धन्यवाद. मैंने केवल कटघरे का ज़िक्र इसलिए किया क्योंकि कटघरे की बात …

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मुझे नए कठघरों से परहेज़ नहीं: ओम थानवी

27 मई के जनसत्‍ता में छपे ‘अनन्‍तर’ की प्रतिक्रिया में मेरी लिखी टिप्‍पणी पर आज सुबह अखबार के संपादक ओम थानवी ने दो पत्र भेजे। दरअसल हुआ ये कि रात में …

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अनंतर का लोकतंतर ऐसा ही होता है

अभिषेक श्रीवास्‍तव जनसत्‍ता में 20 अप्रैल को संपादक ओम थानवी ने अपने स्‍तम्‍भ ‘अनन्‍तर’ में जब ‘आवाजाही के हक में’ आधा पन्‍ना रंगा था, उसी दिन इस लपकी गई बहस …

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सावधान! यह आदमी बेहद खतरनाक और छलिया है: रंजीत वर्मा

शिवमंगल सिद्धांतकर ‘बाबा’ के जवाब पर कवि और ‘बाबा’ की पत्रिका के संपादक रहे रंजीत वर्मा ने अपनी टिप्‍पणी भेजी है। यह टिप्‍पणी परत दर परत ‘बाबा’ के जवाब का …

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मार्क्‍सवाद के अनुकूल है मंगलेश और उदय प्रकाश का आचरण: शिवमंगल सिद्धांतकर

”बाबा की मेज़ पर मोदी की शील्‍ड” नामक रिपोर्ट  पर बाबा शिवमंगल सिद्धांतकर का जवाब आया है। जवाब क्‍यों आया यह समझ नहीं पाया मैं, क्‍योंकि उक्‍त रिपोर्ट बाबा से …

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इस अतार्किक प्रतिबंध की ज्‍यादा अहमियत नहीं: यॉन मिर्डल

(स्‍वीडिश लेखक यॉन मिर्डल ने स्‍वीडन के विदेश मंत्री को एक चिट्ठी भेजी है जिसमें अपने प्रति भारत सरकार के रवैये का उन्‍होंने जि़क्र किया है। बहरहाल, चिट्ठी में कुछ …

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भागे हुए पुरुषों पर एक दुर्लभ कविता

अजीब उबंतू, खाली, निरुद्देश्‍य, निरर्थक, व्‍यर्थ, असमर्थ दिन हैं ये। इतना कुछ हो रहा है और इतनी गति से कि कुछ भी नहीं आ पा रहा पकड़ में। इलेक्‍ट्रॉन की …

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