दिल्ली की सीमा पर डटे आंदोलन में एक ग्रंथी ने खुद को मारी गोली, एक किसान ने पी लिया जहर


किसान आंदोलन में दो और लोगों की आत्महत्या की खबर है. खबर के मुताबिक, मंगलवार को फिरोजपुर के ममदोट इलाके के गांव महिमा के गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी नसीब सिंह मान ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली. नसीब सिंह मान ने बीस दिसंबर को अरदास की थी कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून वापस नहीं लेगी तो शहादत दे दूंगा.

जान देने से पहले ग्रंथी ने सुसाइड नोट भी लिखा जिसमें उन्होंने अपनी मौत का जिम्मेदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ठहराया है.

गांव महिमा के लोगों का कहना है कि नसीब सिंह मान गुरुद्वारे के मौजूदा ग्रंथी थे और उन्हें किसानों से बहुत प्यार था. जब से केंद्र सरकार ने कृषि कानून लागू किया है, तब से वे परेशान थे. किसान अपनी मांगों के लिए पिछले 110 दिनों से धरना दे रहे हैं. पहले पंजाब में आंदोलन चला और उसके बाद किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर डेरा जमाया. कड़ाके की ठंड और बारिश में भी किसान धरने पर बैठे रहे. इससे दुखी ग्रंथी नसीब मान ने बीस दिसंबर को गुरुद्वारे में अरदास की थी कि अगर केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून वापस नहीं लेती तो वे शहादत दे देंगे. इसलिए नसीब सिंह ने अपनी लाइसेंसी पिस्तौल से खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली. 

नसीब सिंह मान के पास से मिले सुसाइड नोट में लिखा है कि उन पर कोई कर्जा नहीं है. केंद्र सरकार के काले कानूनों से किसानों की दयनीय हालत देख कर परेशान हूं. उनकी मौत का जिम्मेदार कोई जत्थेबंदी व लोग नहीं हैं, बल्कि मोदी सरकार है. साथ में यह भी लिखा कि सारा पंथ बसे, पंजाब बसे. दास को मरने का कोई शौक नहीं, पंथ बसे जी. 

एक और खबर के मुताबिक, लुधियाना के 49 साल के किसान लाभ सिंह ने कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर जहर पीकर अपनी जान दे दी. सोमवार को लाभ सिंह ने जहरीला पदार्थ निगल कर आत्महत्या करने की कोशिश की थी. उन्हें सोनपीत के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था जहां इलाज के दौरान मंगलवार सुबह उनकी मौत होने की खबर है.


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