8 जनवरी की अगली तारीख के साथ बैठक खत्म, किसानों को कानून वापसी से कम कुछ मंजूर नहीं


विवादित कृषि कानूनों पर आज सरकार और किसान नेताओं के बीच सातवें दौर की वार्ता बेनतीजा समाप्त हो गयी और 8 जनवरी अगली तारीख पड़ी है। तारीख पर तारीख का यह खेल जो 2020 में शुरू हुआ था, अब भी जारी है। आज की वार्ता समाप्त होने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि, 8 तारीख (8 जनवरी 2021) को सरकार के साथ फिर से मुलाकात होगी। तीनों कृषि क़ानूनों को वापिस लेने पर और MSP दोनों मुद्दों पर 8 तारीख को फिर से बात होगी। हमने बता दिया है क़ानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं।

किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि,

सरकार को यह बात समझ आ गई है कि किसान संगठन कृषि क़ानूनों को रद्द किए बिना कोई बात नहीं करना चाहते हैं। हमसे पूछा गया कि क्या आप क़ानून को रद्द किए बिना नहीं मानेंगे, हमने कहा हम नहीं मानेंगे।

भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्ला ने कहा कि,

सरकार प्रचंड दवाब में है और हमने कह दिया कि कृषि कानूनों की वापसी के सिवा हम अन्य किसी मुद्दे पर बात नहीं करना चाहते हैं। जब तक ये कानून वापस नहीं लिए जाते प्रदर्शन जारी रहेगा।

वहीं, कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि,

चर्चा का माहौल अच्छा था परन्तु किसान नेताओं के कृषि क़ानूनों की वापसी पर अड़े रहने के कारण कोई रास्ता नहीं बन पाया। 8 तारीख को अगली बैठक होगी। किसानों का भरोसा सरकार पर है इसलिए अगली बैठक तय हुई है।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि चर्चा जिस हिसाब से चल रही है, किसानों की मान्यता है कि सरकार इसका रास्ता ढूंढे और आंदोलन समाप्त करने का मौका दे।

आज दिन में वार्ता शुरू होने से पहले किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के लिए सरकार के मंत्रियों और किसान नेताओं ने 2 मिनट का मौन रखा।



About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *