दिल्ली चुनाव के प्रचार अभियान में रामलीला मैदान से प्रधानमंत्री ने उस समय देश भर में चल रहे नागरिकता संशोधन अघिनियम, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर व राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के खिलाफ आंदोलन के दबाव में कहा था कि देश में कोई हिरासत केन्द्र या डिटेंशन सेंटर नहीं है। फरवरी-मार्च 2020 में सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) ने प्रधानमंत्री के कथन की पुष्टि के लिए दिल्ली से ग्वालपाड़ा, असम तक एक यात्रा निकाली तो उस यात्रा को पश्चिम बंगाल-असम सीमा पर रोक दिया गया और ग्वालपाड़ा के जिलाधिकारी ने निर्माणाधीन हिरासत केन्द्र के बाहर किसी भी प्रकार के प्रदर्शन पर रोक लगायी। इससे यह तो साबित हो गया कि सरकार हिरासत केन्द्र बना रही थी। फिर प्रधानमंत्री को इसे नकारने की क्या जरूरत पड़ी?
उस समय हमने यह भूमिका ली कि प्रधानमंत्री की बात को सच साबित करने के लिए निर्माणाधीन हिरासत केन्द्र को विद्यालय या चिकित्सालय में तब्दील कर दिया जाए। वह तो हुआ नहीं और अब मालूम हो रहा है कि उत्तर प्रदेश में तो उसका उल्टा हो गया।
गाजियाबाद में एक अम्बेडकर छात्रावास को हिरासत केन्द्र में तब्दील कर दिया गया है। हम सरकार के इस निर्णय की भर्त्सना करते हैं। सरकार को तो चाहिए था कि और अम्बेडकर छात्रावासों को निर्माण किया जाता। यदि उपर्युक्त छात्रावास खाली पड़ा था तो सरकार को प्रयास करना चाहिए था कि दलित छात्राएं यहां आकर रहें। बजाय इसके कि सरकार खेद व्यक्त करे कि वह अम्बेडकर छात्रावास का उसके नियत उद्देश्य हेतु इस्तेमाल नहीं कर पा रही थी, सरकार ने दलित छात्राओं के लिए बने छात्रावास का खाली होने का बहाना बना कर उसे हिरासत केन्द्र में तब्दील कर दिया गया। यह सरकार की दलित विरोधी मानसिकता का परिचायक है।
अवैध विदेशी नागरिक अथवा जो राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की प्रक्रिया के बाहर रह जाएंगे उन्हें इस हिरासत केन्द्र में रखा जाएगा। यदि कोई भारतीय सरकारी नियमों के अनुसार अपनी नागरिकता सिद्ध कर पाने में असफल होता है तो हिरासत केन्द्र से निकलने के बाद उसकी नागरिकता क्या मानी जाएगी?
उसे आजीवन तो हिरासत केन्द्र में रखा नहीं जा सकता क्योंकि कठोरतम सजा आजीवन कारावास भी पूरी जिंदगी के लिए नहीं होती। सरकार की यह पहल बेतुकी है और दिखाती है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार समाज के हित में काम करने के बजाय एक विभाजनकारी रणनीति के तहत अपनी निरंकुश राजनीतिक शक्ति को और मजबूत करने में लगी हुई है। भले ही सरकार उन सभी मुस्लिम समाज के सदस्यों को जो अपनी नागरिकता साबित करने में असफल रहेंगे इस हिरासत केन्द्र में नहीं रख पाएगी लेकिन मुसलमानों को भयभीत रखने के लिए इस हिरासत केन्द्र का इस्तेमाल किया जाएगा।
- राजीव यादव, लोक राजनीति मंच, उत्तर प्रदेश, 9452800752
- अजीत सिंह यादव, लोक मोर्चा, उत्तर प्रदेश, 7017828481
- लुबना सर्वथ, महासचिव, सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया), तेलंगाना, 9963002403
- श्रीकुमार, लोक राजनीति मंच, कर्नाटक, 9480346081
- अनीश लुकोस, लोक राजनीति मंच, केरल, 7994415577
- ईश्वर दास खजूरिया, जम्मू व कश्मीर की क्षेत्रीय अखण्डता हेतु मंच, जम्मू व कश्मीर, 9419152093
- प्रफुल्ल सामंतरा, लोक शक्ति अभियान, ओडीशा, 9437259005
- संदीप पाण्डेय, उपाध्यक्ष, सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया), उत्तर प्रदेश, 0522 2355978