बनारस: पत्रकार रिज़वाना को खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोपित नोमानी की ज़मानत खारिज


बनारस की चर्चित युवा पत्रकार रिज़वाना तबस्सुम को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार किये गये शमीम नोमानी की ज़मानत याचिका मंगलवार को खारिज हो गयी। रिज़वाना ने 4 मई को तड़के अपने घर में फांसी लगा ली थी और सुसाइड नोट छोड़ गयी थी जिसमें शमीम नोमानी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।

इस मामले में वाराणसी के लोहता थाने में अपराध संख्या 117/2020 दर्ज किया गया जिसमें नोमानी पर आइपीसी की धारा 306 (खुदकुशी के लिए उकसाना) के अंतर्गत मुकदमा कायम किया गया था। नोमानी 4 मई को ही गिरफ्तार कर लिया गया था। उसने अपनी ज़मानत के लिए आवेदन किया था (संख्या 1112/2020) जिस पर वाराणसी के अडीशनल सेशन्स जज की अदालत संख्या 1 में वर्चुअल सुनवाई हुई।

अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत हुए सरकारी अधिवक्ता तनवीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि इस मामले में लगायी गयी ज़मानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है। फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि शमीम के खिलाफ़ ठोस सबूत हैं जिनके आधार पर ज़मानत खारिज की गयी है। एक तो सुसाइड नोट है जिस पर नोमानी का नाम लिखा है। दूसरा, उसके फोन कॉल हैं। उन्होंने बताया कि आरोपित शख्स ने रिज़वाना को फोन कर कर के प्रताड़ित किया जिसके चलते वह अपनी जान देने पर मजबूर हो गयी।

अदालत ने ज़मानत खारिज करने सम्बंधी अपने आदेश में पुलिस द्वारा अब तक जुटाये गये साक्ष्यों को भी संक्षेप में दर्ज किया है। आदेश में बताया गया है कि जांच के दौरान पुलिस को रिज़वाना और सैयद अली नाम के एक शख्स के बीच वॉट्सएप पर हुए संवाद का पता चला है। संवादों की इस श्रृंखला में 3 मई की रात 11ः15 पर एक संदेश रिज़वाना की ओर से अली को भेजा गया जिसमें लिखा था, आइ विल डाइ” (मैं मर जाऊंगी)। इसके ठीक मिनट भर बाद एक और संदेश उसने भेजा, “शमीम मेरी जिंदगी से खेल रहा है”। फिर एक मिनट बाद 11ः17 पर एक और संदेश भेजा गया, “अगर मुझे कुछ हो जाएगा तो समझ जाइएगा उसी की वजह से कुछ हुआ है”।

आदेश में मृतका के मोबाइल के रिकॉर्ड का जो ज़िक्र है, उसके मुताबिक 4 मई को आरोपित नोमानी ने रात 1ः21 से 2ः58 के बीच रिज़वाना को 83 मिस कॉल किये थे। इसके अलावा रात 12 बजे से 1ः17 के बीच रिज़वाना ने आरोपित के मोबाइल पर 98 बार कॉल किया था। आरोपित के एक और फोन नंबर पर रिज़वाना ने 8 संदेश और 12 कॉल किये थे।

अदालत ने अपने आदेश में जांच अधिकारी के हवाले से कहा है कि जितने भी बयान दर्ज किये गये हैं, वे सब आरोपित द्वारा मृतका को प्रताड़ित करने के साक्ष्य हैं। मामले को समग्रता में देखते हुए अदालत इस केस को ज़मानत के लिए उपयुक्त नहीं मानती।

इस मामले में पुलिस ने अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं की है और जांच जारी है।


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9 Comments on “बनारस: पत्रकार रिज़वाना को खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोपित नोमानी की ज़मानत खारिज”

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