भारतीय समय के अनुसार 23 फरवरी की रात 11 बजे दुनिया भर में बहुलतावाद का प्रसार करने में अग्रणी रहे दस शख्सियतों को ग्लोबल प्लुरलिज़्म अवॉर्ड से एक वर्चुअल समारोह में सम्मानित किया गया। इन दस नामों में भारत से डॉ. लेनिन रघुवंशी भी एक हैं, जो ढाई दशक से बनारस में रहकर अन्याय और असमानता के खिलाफ नवदलित आंदोलन चला रहे हैं।
इन पुरस्कारों की घोषणा बीते साल नवंबर में हुई थी। कोरोना के कारण इसका समारोह इस साल के लिए टाल दिया गया था। ग्लोबल सेंटर फॉर प्लुरलिज़्म को 2021 ग्लोबल प्लुरलिज़्म अवार्ड के लिए 70 देशों से 500 नामांकन प्राप्त हुए थे। नामांकित व्यक्ति कठोर समीक्षा प्रक्रिया से गुजरते हैं और बहुलवाद से संबंधित अनुशासनों की स्वतंत्र विशेषज्ञों की अंतरराष्ट्रीय जूरी द्वारा चुने जाते हैं।
डॉ. लेनिन के लिए अपने प्रशस्ति पत्र में ग्लोबल सेंटर फॉर प्लुरलिज्म कहता है:
”लेनिन को भारत में दलित राजनीति का विमर्श बदलने का श्रेय जाता है। भारत जैसे विविध और विशाल देश में सभी के लिए समावेश और बुनियादी अधिकार दिलवाने में लेनिन का काम जटिल तो है पर अनिवार्य भी है। उनको प्रेरित करने वाला विचार यह है कि हर जिंदगी कीमती है, कोई भी प्रकरण मामूली नहीं होता। वंचितों को समावेशित करने की उनकी लड़ाई दरअसल अपने देश के लिए की जा रही लड़ाई है जिसे वे प्यार करते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत की शानदार बहुलता इसके विभाजन का कारण न बने बल्कि इसे मज़बूती दे।”
प्रशस्ति पत्र में भारत की जाति व्यवस्था और उससे उपजे विभेदों पर एक अलग से टिप्पणी की गयी है जो ध्यान देने योग्य है:
One of the world’s oldest civilizations, India is on its way to becoming the world’s most populous nation. India is incredibly diverse across religion, language, caste and tribe. Close to 80 percent of India’s 1.4 billion people are Hindus, but there are also millions of Muslims, Christians, Sikhs, Buddhists and Jains. India’s caste system is a social hierarchy dating back some 2,000 years that categorizes Hindus at birth, dictating their place in society. At the bottom of the hierarchy are Dalits (“untouchables”) and Adivasis, who together make up nearly a quarter of India’s population. These groups are outcast from society, facing social and economic marginalization and discrimination. Although India’s constitutional framework recognizes group-differentiated rights, the country has experienced a growing climate of intolerance in recent years, fueled by the rise of right-wing nationalism. There is real concern that India’s inclusive citizenship policies and welfare architecture laid down over the past 70 years are being dismantled, threatening the pluralistic fabric of the country.
प्रशस्ति पत्र में डॉ. लेनिन के संगठन पीवीसीएचआर के बारे में बताया गया है कि वे पांच राज्यों में 72000 सदस्यों के साथ काम कर रहे हैं। इस संगठन को डॉ. लेनिन ने अपनी जीवनसाथी श्रुति नागवंशी के साथ मिलकर 1996 में शुरू किया था।
अन्याय और असमानता के खिलाफ बहुलतावादी संस्कृति के 10 वैश्विक पहरेदारों में काशी के डॉ. लेनिन
बहुलता के लिए दुनिया भर से पुरस्कृत किये गये सभी दस शख्सियतों की प्रोफाइल नीचे देखी जा सकती है।
GCP_GlobalPluralismAward_2021Yearbook_EN_FinalDigitalSpreads