आज 26 जुलाई 2021 को किसान आंदोलन भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर निरंतर विरोध प्रदर्शन के आठ महीने पूरे कर रहा है। आज जंतर-मंतर पर किसान संसद का संचालन पूरी तरह महिलाएं करेंगी।
महिला किसान संसद भारतीय कृषि व्यवस्था में और चल रहे आंदोलन में, महिलाओं द्वारा निभायी जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाएगी। महिला किसान संसद के लिए विभिन्न जिलों से महिला किसानों का काफ़िला मोर्चे पर पहुंच रहा है। उधर आठ माह पूरे होने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी संसद की तरफ ट्रैक्टर लेकर निकल पड़े हैं।
मिशन यूपी की शुरुआत के लिए एसकेएम नेता आज लखनऊ जाएंगे। वे वहां आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करेंगे। ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इस साल की शुरुआत में हुए पंचायत चुनावों में किसान आंदोलन ने अपनी छाप छोड़ी थी और कई जगहों पर भाजपा उम्मीदवारों को दंडित किया गया था और निर्दलीय उम्मीदवारों को सबसे अधिक सीटें मिलीं थीं।
भारत सरकार का बार-बार यह बयान कि उसके पास मौजूदा आंदोलन में किसानों की मौत का कोई आंकड़ा नहीं है, बेहद शर्मनाक है और एसकेएम मोदी सरकार के इस कठोर रवैये की निंदा करता है। पंजाब सरकार ने पंजाबी प्रदर्शनकारियों की मौत की आधिकारिक संख्या 220 रखी है। एसकेएम इस संख्या की पुष्टि करने की स्थिति में नहीं है, हालांकि अगर मोदी सरकार किसान आंदोलन द्वारा रखे गए आंकड़े, जो मौजूदा संघर्ष में अब तक कम से कम 540 मौतों की एक बेहिचक संख्या दिखाती है, को नहीं मानना चाहती है, तो सरकार को कम से कम राज्य सरकार के आधिकारिक आंकड़े को देखना चाहिए। वह ऐसा नहीं करना चाह रही है, भाजपा के किसान विरोधी रवैये को स्पष्ट करता है।
एसकेएम ने सिरसा प्रशासन द्वारा लगभग 525 प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा गलत तरीके से गिरफ्तार किए गए पांच प्रदर्शनकारियों को रिहा करने की मांग करने के लिए हाल ही में दिल्ली-डबवाली राजमार्ग पर यातायात अवरुद्ध करने के लिए दर्ज मामलों की निंदा की। वरिष्ठ न्यायाधीशों ने भी स्पष्ट बताया है कि यहां प्रदर्शनकारियों के खिलाफ राजद्रोह का कोई मामला नहीं बनता है। गिरफ्तार किए गए पांच किसानों को रिहा कर दिया गया है, विडंबना यह है कि हरियाणा सरकार ने अब 525 किसान, जो मूल रूप से यह कह रहे थे कि राजद्रोह का आरोप गलत और अरक्षणीय है, के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। एसकेएम मांग करता है कि हरियाणा सरकार इन मामलों को तुरंत वापस ले।
एसकेएम ने कहा, “यह स्पष्ट है कि हरियाणा सरकार ने अभी भी हिसार, टोहाना और सिरसा में गलत तरीके से हिरासत में लिए गए और दर्ज मामलों से कोई सबक नहीं सीखा है। ये ताजा मामले वास्तव में हास्यास्पद और अस्वीकार्य हैं।”
किसानों के कई नए दल विभिन्न विरोध स्थलों पर पहुंच रहे हैं। बिजनौर से निकल कर कल एक बड़ी ट्रैक्टर रैली गाजीपुर बार्डर पर पहुंची। साथ ही किसानों में एकता व सौहार्द को मजबूत करने के लिए कल पलवल अनाज मंडी में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया।
पंजाब में भाजपा नेता बलभद्र सेन दुग्गल को दो दिन पहले फगवाड़ा में किसानों के काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ा। इसी तरह, हरियाणा के भाजपा राज्य इकाई के अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ को हरियाणा के बादली में विरोध का सामना करना पड़ा, जब वे पार्टी की एक बैठक में शामिल होने के लिए वहां पहुंचे थे। हरियाणा के हिसार गांव में भाजपा नेता सोनाली फोगट को वहां एकत्र हुए किसानों के द्वारा विरोध में काले झंडे दिखाए गए। जैसा कि दो दिन पहले रुद्रपुर में हुआ था, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को भी काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
(संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी विज्ञप्ति पर आधारित)