नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। देश की शीर्ष अदालत ने संसद भंग करने की कार्रवाई को उलट दिया है और 13 दिनों के भीतर 275 सदस्यों की संसद को बहाल करने का आदेश दिया है।
ओली द्वारा संसद भंग किये जाने के खिलाफ 13 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लगी थीं। कोर्ट की एक विशेष संविधान पीठ ने इन पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को नेपाली संसद की प्रतिनिधि सभा को दोबारा बहाल कर दिया।
दो माह पहले राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर संसद को भंग कर दिया था। राष्ट्रपति ने अप्रैल-मई के दौरान चुनावों का ऐलान भी कर दिया था।
ओली सरकार के खिलाफ विपक्ष एक अविश्वास प्रस्ताव लाने वाला था, जिसकी प्रतिक्रिया में उन्होंने संसद भंग कर दी थी।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति चोलेंद्र शमशेर ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह मुद्दा अपनी प्रकृति में राजनीतिक है लेकिन संविधान को कायम रखने के मद्देनजर अदालत को इस पर संज्ञान लेना पड़ा।
पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने इस फैसले को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया है। बाबूराम भट्टराई ने भी बीमारी की अवस्था में इस फैसले का स्वागत किया है।
भारत में नेपाल मामलों के जानकारी वरिष्ठ पत्रकार आनंद स्वरूप वर्मा ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया है। दूसरी ओर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी फैसले का स्वागत किया है।