महिला संगठनों ने की सुदीक्षा के परिवार को तत्‍काल इंसाफ़ देने की मांग


सुदीक्षा की मौत के मामले ने लोगों को अन्दर तक हिला के रख दिया है, जिनकी सोमवार को बाइक से गिरने के बाद मृत्यु हो गई थी। उसका पीछा बाइक सवार मनचलों द्वारा किया जा रहा था जब वह अपने चाचा मनोज भाटी के साथ सिकंदरबाद में अपने रिश्तेदारों से मिलने जा रही थी। सुदीक्षा यूपी के जिले बुलंदशहर की रहने वाली हैं।

सिविल सोसाइटी संगठन उड़ीसा श्रमजीवी मंच, महिला श्रमजीवी मंच, सोनभद्र विकास संगठन और आत्मशक्ति ट्रस्ट ने इस घटना की निंदा की है एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश पुलिस एवं बुलंदशहर के जिलाधिकारी को टैग करते हुए ट्विट करते हुए सुदीक्षा और उनके परिवार को तत्काल न्याय देने की मांग सरकार से की है।

यह घटना दुःखद, शर्मनाक एवं निंदनीय है। महिलाओं की सुरक्षा की रक्षा करने के लिए बनाये गए कई कानूनों के बावजूद भी हमारे देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं जो चिंता का विषय है। इस तरह के जघन्य कृत्य अक्सर समाचार में होते हैं।

सुश्री शांति भोई, अध्यक्ष, महिला श्रमजीवी मंच ओडिशा ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार की हिंसा को रोकना होगा। सुदीक्षा की मौत एक दुर्भाग्यपूर्ण मामला है और इससे पता चलता है कि हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा कैसी है। आत्मशक्ति ट्रस्ट की कार्यकारी ट्रस्टी रूचि कश्यप ने कहा कि पुरुष प्रधान एवं पितृसत्तात्मक सोच को बदलने की जरूरत है तभी महिलाओं को उचित सम्मान एवं अधिकार मिल सकते हैं!

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2016 के अपराध के आंकड़े ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि हमारे देश में चाहे वह शहर हो या ग्रामीण, क्षेत्र महिलाओं के लिए असुरक्षित होते जा रहे हैं। ब्यूरो द्वारा संकलित ”भारत में अपराध-2018” के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित कुल 89,097 पूरे भारत में दर्ज किए गए। 2017 में 86,001 मामले दर्ज हुए हैं। 2017 में 57.9 की तुलना में 2018 में प्रति लाख महिलाओं से अपराध की दर 58.8 है।

रिपोर्ट के अनुसार देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3, 59,849 मामले सामने आए। उत्तर प्रदेश 56,011 मामलों के साथ शीर्ष पर रहा और उसके बाद महाराष्ट्र 31,979 और पश्चिम बंगाल में 30,002 मामले हैं।

सिविल सोसाइटी ने सरकार से संयुक्त रूप से मांग की है कि सरकार द्वारा उचित कदम उठाने की जरुरत है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।  


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