किसान सबसे बड़े राष्ट्रवादी हैं, वे राष्ट्र की अच्छी छवि के रक्षक हैं: संयुक्त किसान मोर्चा


64 वां दिन, 27 जनवरी 2021

पिछले 7 महीनों से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने की साजिश अब जनता के सामने उजागर हो चुकी है। कुछ व्यक्तियों और संगठनों (मुख्य तौर पर दीप सिधु और सतनाम सिंह पन्नू की अगुवाई में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी) के सहारे, सरकार ने इस आंदोलन को हिंसक बनाया। हम फिर से स्पष्ट करते हैं कि हम लाल किले और दिल्ली के अन्य हिस्सों में हुई हिंसक कार्रवाइयों से हमारा कोई संबंध नहीं है। हम उन गतिविधियों की कड़ी निंदा करते है।

जो कुछ जनता द्वारा देखा गया, वह पूरी तरह से सुनियोजित था। किसानों की परेड मुख्य रूप से शांतिपूर्ण और मार्ग पर सहमत होने पर हुई थी। हम राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान की कड़ी निंदा करते हैं, लेकिन किसानों के आंदोलन को ‘हिंसक’ के रूप में चित्रित नहीं किया जा सकता क्योंकि हिंसा कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा की गई थी, जो हमारे साथ जुड़े नहीं हैं। सभी सीमाओं पर किसान कल तक शांतिपूर्ण तरीके से अपनी-अपनी परेड पूरी करके अपने मूल स्थान पर पहुंच गए थे।

हम प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की बर्बरता की कड़ी निंदा करते हैं। पुलिस और अन्य एजेंसियों का उपयोग करके इस आंदोलन को खत्म के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास अब उजागर हो गए है। हम कल गिरफ्तार किए गए सभी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को तुरंत रिहा करने की मांग करते हैं। हम पुलिस की परेड में ट्रैक्टर और अन्य वाहनों को नुकसान पहुंचाने के प्रयासों की भी निंदा करते हैं।

हम उन लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं जिन्होंने राष्ट्रीय प्रतीकों को नुकसान पहुंचाया है। किसान सबसे बड़े राष्ट्रवादी हैं और वे राष्ट्र की अच्छी छवि के रक्षक हैं।

कल कुछ अफसोसजनक घटनाओं के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए, SKM ने एक फरवरी के लिए निर्धारित संसद मार्च को स्थगित करने का फैसला लिया है। इसके अलावा, 30 जनवरी को गांधीजी के शहादत दिवस पर, शांति और अहिंसा पर जोर देने के लिए, पूरे देश में एक दिन का उपवास रखा जाएगा।

सयुंक्त किसान मोर्चा ने जनता से दीप सिद्धू जैसे तत्वों का सामाजिक बहिष्कार करने की अपील की है।

दिल्ली में ही नहीं, किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित किसान गणतंत्र परेड कई राज्यों में की गई थी। बिहार में, किसानों ने पटना सहित कई स्थानों पर गणतंत्र दिवस मनाया। मध्य प्रदेश में, किसानों ने पूरे उत्साह के साथ इस शानदार दिन को मनाया। 26 जनवरी को दिल्ली में एनएपीएम के कार्यकर्ता किसान परेड में शामिल हुए, जो 12 जनवरी से पुणे से पैदल चले थे। मुंबई के आजाद मैदान में एक विशाल रैली का आयोजन किया गया। बैंगलोर में, हजारों किसानों ने किसान परेड में भाग लिया और यह पूरी तरह से शांतिपूर्ण था। किसान गणतंत्र परेड में तमिलनाडु, केरल, हैदराबाद, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के किसानों ने भाग लिया।

आने वाले दिनों में अन्य योजनाओं और गतिविधियों की घोषणा की जाएगी।

हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा। किसान आश्वस्त हैं और शांति से इस सरकार से अपनी असहमति दिखा रहे हैं। कल की परेड में दिल्ली के नागरिकों के प्यार को देखकर हम उनका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं।


डॉ दर्शन पाल
संयुक्त किसान मोर्चा
9417269294


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *