वयोवृद्ध संत और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्त्ता फादर स्टेन स्वामी के उत्पीड़न और सरकार द्वारा नियोजित हत्या की घटना ने देश की पुलिस, अभियोजन और न्याय व्यवस्था की गंभीर कमियों और उनके जनविरोधी चरित्र को उजागर किया है। उनकी हत्या ने सभी न्यायप्रेमी नागरिक के मन को दुखी और उद्वेलित कर दिया है।
समाजवादी जन परिषद (सजप) इन गम्भीर कमियों और सरकारों के दमन के विरुद्ध हमेशा ही मुखर और संघर्षरत रही है।
UAPA अन्याय करने का कानून है- जो न्याय करने का अधिकार भी अदालतों से छीन कर पुलिस महकमे को ही देता है। फर्जी और तथ्यहीन आरोप लगाकर बरसों किसी नागरिक को जेल में बंद रखने का असीमित अधिकार पुलिस को मिला हुआ है। आज देश भर में सैकड़ों लोग UAPA के आरोपों के कारण दस-दस साल से जेल में बिना जमानत के सड़ रहे हैं। नीचे से ऊपर तक सभी न्यायालय भी निर्दोष आरोपियों को जमानत तक नहीं दे पा रहे हैं।
यदि पुलिस या राजनीतिक सत्ताधारियों द्वारा UAPA का इस हद तक दुरुपयोग हो रहा है तो साफ है कि उस कानून की परिभाषा, धाराओं और नियमों में ही गंभीर खोट है।
नीचे से ऊपर तक पुलिस महकमा अपने मन और काम में शीर्ष राजनीतिक सत्ताधारियों का पूरी तरह गुलाम हो चुका है। पुलिस विभिन्न राजनीतिक और आपराधिक षडयंत्रों को पूरा करने में लगी होती है।
सजप मांग करती है कि UAPA को तुरन्त निरस्त किया जाय। साथ ही उसमें तथा अन्य लागू उत्पीड़क कानूनों के अन्दर कैद सभी राजनीतिक बन्दियों को जल्द से जल्द रिहा किया जाय।
फादर स्टेन स्वामी की हत्या की जाँच उच्च न्यायालय के कार्यरत न्यायाधीश के द्वारा शुरू करने की मांग सजप करती है। उनकी हत्या का मुकदमा दायर हो, और दोषियों को सजा मिले।
अफ़लातून
(राष्ट्रीय महासचिव)
चन्द्र भूषण चौधरी
(राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष)
लिंगराज आजाद
(राष्ट्रीय अध्यक्ष)