इंदौर: ग्वालियर में किसानों पर हमले के खिलाफ संभाग आयुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन, दिया गया ज्ञापन


इंदौर। ग्वालियर किसान आंदोलन के धरने पर बैठे किसान सभा के कार्यकर्ताओं और स्थानीय ग्राम वासियों पर भाजपा और आरएसएस के कायरानापूर्ण हमले और पुलिस प्रशासन द्वारा हमलावरों को सहयोगात्मक कार्यवाही के खिलाफ आज मध्य प्रदेश किसान सभा, किसान संघर्ष समिति, किसान खेत मजदूर संगठन, अखिल भारतीय किसान सभा, खेत मजदूर यूनियन, सीटू, हिंद मजदूर सभा के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने संभाग आयुक्त कार्यालय इंदौर पर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति ओर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

आयुक्त की ओर से कार्यालय अधीक्षक ने विश्वास दिलाया कि ज्ञापन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पहुंचा दिया जाएगा। प्रदर्शन स्थल पर साथियों ने सभा की जिसमें नेताओं ने सर्वसम्मति से भाजपा-आरएसएस के कार्यकर्ताओं की कायराना हरकत और सामंती हमले की तीखी आलोचना एवं घोर निंदा करते हुए कहा कि-

ग्वालियर में फूलबाग मैदान पर 31 दिन से लगातार चल रहें किसानों के धरना आंदोलन को मिल रहे भारी जनसमर्थन के चलते भाजपा आर एस एस के कार्यकर्ताओं ने उक्त कार्रवाई को पुलिस के सहयोग से अंजाम तक पहुंचाया, लेकिन किसान कार्यकर्ता इस तरह की साजिशों से घबराने वाले नहीं है हमले का लोकतांत्रिक तरीके से जबरदस्त विरोध किया जाएगा। जिस तरह दिल्ली में चल रहे शांतिप्रिय आंदोलन की साजिशपूर्ण कार्यवाही सरकार पर उल्टी पड़ी है उसी तरह प्रदेश के भी अन्य जिलों में किसान मजदूर विरोधी कार्रवाइयों के खिलाफ मजबूत आंदोलन की कार्रवाई संगठित की जाएगी।

आंदोलन को अरुण चौहान, हरिओम सूर्यवंशी, रामस्वरूप मंत्री, सीएल सरावत, रूद्र पाल यादव, राजू जरिया, सोनू शर्मा ने संबोधित किया। इस मौके पर भागीरथ कछवाय, सुरेंद्र पटेल, काशीराम नायक ,छेदी लाल यादव, राकेश बंजारा, कन्हैयालाल सहित कई साथी उपस्थिति थे।

3 फरवरी को मालवा मिल चौराहे पर धरना और किसान मजदूर विरोधी कानूनों की होली जलाई जाएगी

3 फरवरी को मजदूर किसान संगठन मालवा मिल मिल चौराहे पर दोपहर 3:00 से शाम 5:00 बजे तक विशाल विरोध कार्यवाही करेंगे। इस विरोध प्रदर्शन और धरने में सभी केंद्रीय श्रमिक संगठनों और किसान संगठनों के आवाहन पर मजदूर और किसान भागीदारी करेंगे।


(किसान संघर्ष समिति, मध्य प्रदेश किसान सभा द्वारा जारी)


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *