अन्याय और असमानता के खिलाफ बहुलतावादी संस्कृति के 10 वैश्विक पहरेदारों में काशी के डॉ. लेनिन


आज से सात साल पहले नरेंद्र मोदी ने जहां से भारतीय समाज और संस्‍कृति की बहुलता को चुनौती दी थी, दुनिया ने वहीं से बहुलता की रक्षा के लिए एक शख्‍स को सम्‍मानित किया है। काशी के डॉ. लेनिन को आज दुनिया भर में बहुलता के संरक्षण के लिए प्रयासरत दस शख्सियतों की अंतिम सूची में शामिल किया गया। ग्लोबल सेंटर फॉर प्लुरलिज़्म यह पुरस्कार हर दो साल में एक बार दुनिया भर के व्यक्तियों, संगठनों और सरकारों को ऐसे अधिक समावेशी समाजों के निर्माण में अनुकरणीय उपलब्धियों के लिए देता है जहां विविधता की रक्षा की जाती है।

इस मौके पर कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जो क्‍लार्क ने कहा, “बहुलवाद सम्मान, सहयोग और साझा उद्देश्य का एक ऐसा विवरण है जो समुदायों को गतिशील रखता है। इन शख्सियतों ने बहुलवाद में उल्लेखनीय योगदान दिया है। वे आज की दुनिया में अन्याय, असमानता और अपवर्जन की चुनौतियों से निपटने में मौलिकता और साहस को दर्शाते हैं।”

ग्लोबल सेंटर फॉर प्लुरलिज़्म को 2021 ग्लोबल प्लुरलिज़्म अवार्ड के लिए 70 देशों से 500 नामांकन प्राप्त हुए थे। नामांकित व्यक्ति कठोर समीक्षा प्रक्रिया से गुजरते हैं और बहुलवाद से संबंधित अनुशासनों की स्वतंत्र विशेषज्ञों की अंतरराष्ट्रीय जूरी द्वारा चुने जाते हैं।

ग्लोबल सेंटर फॉर प्लुरलिज़्म की महासचिव मेरेडिथ प्रेस्‍टन मैक्‍घी ने बताया, “सेंटर इस साल के फाइनलिस्टों की रचनात्मकता और लचीलेपन से प्रेरित है, जिनकी उपलब्धियां आज की दुनिया में बहुलवाद की शक्ति के ठोस, प्रेरक उदाहरण पेश करती हैं। विभाजन के वैश्विक रुझानों और घटे हुए नागरिक स्थान के बीच ये फाइनलिस्ट जागरूकता बढ़ाने, संबंध निर्मित करने और विचारों, आख्यानों और संरचनाओं को बदलने के लिए बेहिसाब काम कर रहे हैं।”

भारत के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. लेनिन रघुवंशी को जातिगत भेदभाव को चुनौती देने और भारत के सबसे हाशिये के समुदायों के अधिकारों को आगे बढ़ाने के उनके काम के लिए जाना जाता है। वह पितृसत्ता और जाति-व्यवस्था को चुनौती देने वाले समावेशी सामाजिक आंदोलन पीपुल्स विजिलेंस कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स के सह-संस्थापक हैं। रघुवंशी स्थानीय संस्थाओं को मजबूत करने, मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और पूरे समाज को जोड़ने के लिए उत्तर भारत के पांच राज्यों में ग्रामीण स्तर पर काम करते हैं।

दलितों, पिछड़ों, वंचितों, अल्‍पसंख्‍यकों, आदिवासियों और महिलाओं को जोड़कर डॉ. लेनिन ने नवदलित आंदोलन की एक अवधारणा विकसित की है। इस आंदोलन को लेकर वे जगह-जगह पर सम्‍मेलन करवा चुके हैं। भारत की सनातनी बहुलता और सांस्‍कृतिकता के केंद्र काशी में रह कर अपना काम कर रहे लेनिन ने सबसे पहले इस दिशा में बनारस कन्‍वेंशन नाम का भव्‍य आयोजन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अगस्त 2014 में किया था।

डॉ. लेनिन के आंदोलन को समझने के लिए उनका नीचे दिया साक्षात्‍कार देखा जा सकता है:  

इस मौके पर डॉ. लेनिन ने कहा, “अपने काम में, मैं एक बेहतर दुनिया हेतु बहुलवादी लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए एकीकृत, समावेशी आंदोलन के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हूं। भारत भर में जातिगत भेदभाव को चुनौती देने और समाज के हाशिये पर पड़े तबकों के उत्थान के लिए अपने काम के लिए ग्लोबल प्लुरलिज्म अवार्ड फाइनलिस्ट के रूप में प्रशंसित होना मेरे लिए सम्मान की बात है।”

फरवरी 2022 में एक ऑनलाइन समारोह में प्लूरलिज्म अवार्ड के तीन विजेताओं की घोषणा की जाएगी। बहुलतावाद के समर्थन में अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए प्रत्येक विजेता को $50,000 कनाडियन डॉलर का पुरस्कार मिलेगा।

 2021 ग्लोबल प्लुरलिज़्म अवार्ड के दस फाइनलिस्ट से मिलिए

  • ऑल आउट (ग्लोबल) वैश्विक एलजीबीटी+ आंदोलन है जो एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जहां किसी को भी इस कारण अपने परिवार, स्वतंत्रता, सुरक्षा या सम्मान का त्याग नहीं करना पड़े कि वे कौन हैं या वे किससे प्यार करते हैं। उनका काम दुनिया भर में LGBT+ के जीवन के बारे में सकारात्मक आख्यानों का निर्माण करके, संभावित सहयोगियों के बीच दिलों और दिमागों को बदलने और अंततः LGBT+ समुदायों के लिए बेहतर जीवन के अनुभवों में योगदान देकर बहुलवाद और विविधता के सम्मान में योगदान देता है।
  • आर्टलॉर्ड्स (अफगानिस्तान) सामाजिक रूपांतरण और ट्रॉमा हीलिंग को सुगम बनाने के लिए स्ट्रीट आर्ट और एक्टिविज्म को एक में मिलाता है। अफगानिस्तान में स्थापित, आर्टलॉर्ड्स के ”कलाकारों’ के समूह ने देश की बम-विस्फोट से क्षतिग्रस्त दीवारों पर 2,000 से अधिक भित्ति चित्र बनाए हैं, जो शांति, न्याय और सहिष्णुता के संदेश फैला रहे हैं। ArtLords अफगान शरणार्थी समुदाय समेत अपने काम को नए वैश्विक संदर्भों में केंद्रित कर रहा है। उसका भविष्य-स्वप्न विश्वभर में एक दिन अपनी प्रदर्शनियों का आयोजन करना है।
  • Ms. Carolina Contreras (डोमिनिकन गणराज्य)  सामाजिक उद्यमी हैं जो  Miss Rizos  (अंग्रेजी में, “Miss Curls”) के माध्यम से सौंदर्य मानकों को फिर से परिभाषित करके एफ्रो-लैटिनक्स को सशक्त बनाता है। यह वैश्विक आंदोलन है जो प्राकृतिक बालों को सामान्यीकृत और उत्सवित करने का प्रयास करता है। सेंटो डोमिंगो और न्यूयॉर्क शहर में प्राकृतिक हेयर सैलून और युवा सशक्तिकरण की पहल के साथ, Ms. Contreras हजारों महिलाओं और लड़कियों को विविधता का जश्न मनाने, रूढ़ियों को चुनौती देने और सुंदर होने का क्या मतलब है, इसके बारे में गहरे अंतर्निहित औपनिवेशिक आख्यान को फिर से लिखने के लिए सशक्त बना रही हैं।
  • Community Building Mitrovica (कोसोवो) जमीनी स्तर का संगठन है जो उत्तरी कोसोवो में जातीय आधार पर संवाद और संबंध-निर्माण के लिए सुरक्षित स्थान बनाता है। अपनी जातीय विविधता और जातीय विभाजन के लिए जाने जाने वाले शहर मित्रोविका में काम करते हुए, यह संगठन सर्बियाई और अल्बानियाई समुदायों को जोड़ता है जो युद्ध और अविश्वास से अलग हो गए हैं। शांति निर्माण, मानवाधिकार और आर्थिक विकास के मुद्दों के आसपास नागरिकों को इकट्ठा करके, सामुदायिक निर्माण Mitrovica विश्वास की कड़ियों को जोड़ता है और बहुलतावादी समाज को आगे बढ़ाने में योगदान देता है।
  • हैंड इन हैंड : इज़राइल में यहूदी-अरब शिक्षा केंद्र (इज़राइल) एकीकृत, द्विभाषी और बहुसांस्कृतिक स्कूलों का नेटवर्क है जो नई पीढ़ी को सहयोग और सम्मान के साथ रहने के लिए तैयार करता है। इन स्कूलों में, हिब्रू और अरबी भाषाओं को समान दर्जा प्राप्त है, जैसा कि दोनों संस्कृतियों और राष्ट्रीय आख्यानों को प्राप्त है। 2,000 से अधिक छात्रों के साथ और सक्रिय नागरिकों के समुदाय द्वारा समर्थित, जो एकजुटता और संवाद में एक साथ आते हैं, साझा, समावेशी समाज के निर्माण के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं।
  • श्री लेनिन रघुवंशी (भारत) मानवाधिकार के हिमायती हैं जो भारत के सबसे हाशिए के समुदायों के अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। वह पीपुल्स विजिलेंस कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स के सह-संस्थापक हैं, जो पितृसत्ता और जाति व्यवस्था को चुनौती देने वाला समावेशी सामाजिक आंदोलन है। श्री रघुवंशी स्थानीय संस्थाओं को मजबूत करने, मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और पूरे समाज को जोड़ने के लिए उत्तर भारत के 5 राज्यों में ग्रामीण स्तर पर काम करते हैं।
  • Namati Kenya (केन्या)  ऐतिहासिक रूप से अपवर्जित उन समुदायों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करता है जिनके पास सबसे बुनियादी सेवाओं तक पहुंचने के लिए आवश्यक राष्ट्रीय पहचान दस्तावेजों का अभाव है। 2013 के बाद से, Namati Kenya ने इन कानूनी पहचान दस्तावेजों को प्राप्त करने के प्रयासों में 12,000 से अधिक केन्याई-जनों का समर्थन किया है। सामुदायिक पैरा-लीगल के नेटवर्क के माध्यम से, संगठन कानूनी जागरूकता पैदा करता है, जिसका उद्देश्य समुदायों को भेदभाव को दूर करने और समावेशिता और अपनेपन को विकसित करने के लिए सशक्त बनाना है।
  • Ms. Puja Kapai (हांग कांग)  अकादमिक, वकील और सामाजिक न्याय की हिमायती हैं जो लैंगिक व नस्लीय विमर्श के सांस्कृतिक मानकों को चुनौती देता है और हांग कांग के नस्लीय अल्पसंख्यकों के लिए समान अधिकारों की हिमायत करता है। शोध, हिमायत और जमीनी स्तर पर एकजुटता को जोड़ने वाले एक अंतर-अनुभागीय पहुँच के माध्यम से, Ms. Kapai ने हांगकांग में जातीय अल्पसंख्यकों की स्थिति पर अभूतपूर्व ध्यान आकर्षित किया है, जिसने जातीय रूप से अल्पसंख्यक बच्चों के लिए नस्लीय रूप से अलग स्कूलों को समाप्त करने में योगदान दिया है।
  • Ms. Rose LeMay (कनाडा) Taku River Tlingit First Nation की शिक्षिका और इंडिजिनस रिकॉन्सिलिएशन ग्रुप की सीईओ और संस्थापक हैं। अपने संगठन के माध्यम से, Ms. LeMay गैर-देशज कनाडाई लोगों के नजरिए को बदलने के लिए काम करती हैं, उन्हें मेल-मिलाप की दिशा में पहला कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। Ms. LeMay ने अपना करियर स्वदेशी समावेशन की हिमायत करते हुए बढ़ाया है और हजारों कनाडाई लोगों को सांस्कृतिक क्षमता और नस्लवाद विरोध में शिक्षित और प्रशिक्षित किया है।
  • Mr. Trésor Nzengu Mpauni (मालावी) जिसे Menes la Plume के नाम से भी जाना जाता है, कोंगोलीज हिप-हॉप कलाकार और स्लैम कवि है जो Dzaleka शरणार्थी शिविर में रहते हैं। वह अपनी प्रतिभा का उपयोग शरणार्थियों के इर्दगिर्द के मुद्दों पर जागरूकता को बढ़ाने में करते हैं। Mr. Mpauni  Tumaini Festival के संस्थापक है जो कि शरणार्थी शिविर पर आधारित एकमात्र अंतरराष्ट्रीय कला और संगीत उत्सव हैं, जो अंतर-सांस्कृतिक सद्भाव और शरणार्थी अनुभव की वृहत्तर समझ को बढ़ावा देता है। 2014 के बाद से, उन्होंने दुनिया भर से सैकड़ों कलाकारों और हजारों उपस्थित-जनों का ध्यान खींचा है, जो आज मलावी के प्रमुख त्योहारों में से एक है।

पूछताछ के लिए कृपया संपर्क करें:

Tanja Maleska, Manager, प्रबंधक, संचार और सार्वजनिक मामले, बहुलतावाद के लिए वैश्विक केंद्र
media@pluralism.ca
+1-343-996-7296

Global Centre for Pluralism के बारे में

ग्लोबल सेंटर फॉर प्लुरलिज़्म स्वतंत्र, धर्मादा संगठन है जिसकी स्थापना हिज हाइनेस द आगा खान और कनाडा सरकार द्वारा की गई है। सेंटर दुनिया भर के नीति नेताओं, शिक्षकों और समुदाय निर्माताओं के साथ बहुलतावाद की रूपांतरणकारी शक्ति को बढ़ाने और लागू करने के लिए काम करता है। अधिक जानकारी के लिए देखें www.pluralism.ca

ग्लोबल प्लूरलिज्म अवार्ड के बारे में

ग्लोबल प्लूरलिज्म अवार्ड कार्यरूप में बहुलतावाद को सम्मानित करता है। यह उन संगठनों, व्यक्तियों और सरकारों की असाधारण उपलब्धियों का जश्न मनाता है जो विविधता के साथ शांतिपूर्वक और उत्पादक रूप से जीने की चुनौती से निपट रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए देखें https://award.pluralism.ca/


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

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